सुप्रीम कोर्ट ने CCC सर्टिफिकेट रखने वाले अभ्यर्थियों को यूपी पावर कॉरपोरेशन में तकनीकी ग्रेड-II (इलेक्ट्रिकल) कर्मचारी के रूप में बहाल किया
सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड ने उन आवेदकों की सेवाएं समाप्त करके "बड़ी गलती" की, जो उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड में तकनीकी ग्रेड-II (इलेक्ट्रिकल) के रिक्त पद को भरने के लिए जारी किए गए 6 सितंबर 2014 के विज्ञापन में आवश्यक रूप से इंटरव्यू के समय विधिवत चयनित थे और उनके पास कंप्यूटर साक्षरता का सर्टिफिकेट था।
जिन अभ्यर्थियों के पास इंटरव्यू की तिथि तक भी प्रमाण पत्र नहीं था, उन्हें समायोजित नहीं किया जा सकता।
जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की खंडपीठ वर्तमान अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (प्रतिवादी) में तकनीकी ग्रेड-II (इलेक्ट्रिकल) के पद पर आवेदकों की पुनर्नियुक्ति के लिए निर्देश देने की प्रार्थना की गई। इसने पाया कि प्रतिवादी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के एकल जज के फैसले की गलत व्याख्या की थी, जिसने प्रतिवादी को चयन सूची को फिर से तैयार करने का निर्देश दिया, जिसमें केवल उन्हीं उम्मीदवारों को शामिल करने का निर्देश दिया गया, जो इंटरव्यू के समय प्रमाण पत्र लेकर आए थे।
अनुच्छेद 142 के तहत पूर्ण न्याय की असाधारण शक्तियों का प्रयोग करते हुए न्यायालय ने निर्देश दिया कि जिन उम्मीदवारों के पास इंटव्यू के समय CCC सर्टिफिकेट था/प्रस्तुत किया और जो मूल चयन सूची का हिस्सा थे, उन्हें बहाल किया जाए। न्यायालय ने कहा कि उन्हें मूल चयन सूची के अनुसार उनकी स्थिति के अनुसार वरिष्ठता सूची में स्थान पाने का हकदार होना चाहिए।
संक्षिप्त तथ्य
संक्षिप्त तथ्यों के अनुसार, प्रतिवादियों ने तकनीशियन ग्रेड-II के पदों को भरने के लिए उत्तर प्रदेश विद्युत (आपूर्ति) अधिनियम, 1948 के तहत तत्कालीन उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड द्वारा प्रख्यापित यू.पी. राज्य विद्युत परिषद ऑपरेटिव कर्मचारी संवर्ग सेवा विनियम, 1995 को अपनाया।
उत्तर प्रदेश विद्युत सुधार अधिनियम, 1999 के अधिनियमन के साथ, यू.पी. राज्य विद्युत बोर्ड का अस्तित्व समाप्त हो गया और उसकी जगह प्रतिवादी ने ले ली। 1999 के विनियमों में 29 जनवरी, 2011 को संशोधन किया गया, जिसके तहत तकनीशियन ग्रेड II के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स और कंप्यूटर कोर्स के प्रत्यायन विभाग (DOEACC) (जिसे बाद में राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान का नाम दिया गया) द्वारा जारी कंप्यूटर अवधारणाओं पर 80 घंटे के कोर्स (CCC सर्टिफिकेट) का प्रमाणपत्र रखना आवश्यक हो गया। संशोधित विनियमन के अनुसार इंटरव्यू के समय वही सर्टिफिकेट प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
इसके बाद नवंबर 2011 में इस आवश्यकता को संशोधित किया गया। प्रतिवादी ने कहा कि DOEACC द्वारा जारी CCC सर्टिफिकेट के समकक्ष कंप्यूटर पात्रता योग्यता भी स्वीकार की जाएगी।
वर्तमान अपीलों में आवेदकों को 6 सितंबर, 2014 के विज्ञापन के अनुसार नियुक्त किया गया, जिसमें तकनीशियन ग्रेड II के 2,211 पदों पर नियुक्ति के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए। यह कहा गया कि CCC सर्टिफिकेट या इसके समकक्ष अनिवार्य शैक्षणिक योग्यताओं में से एक था।
आवेदकों का चयन 14 जुलाई, 2015 की चयन सूची के अनुसार किया गया और उन्हें नियुक्ति पत्र दिए गए। 25 जुलाई, 2015 को असफल उम्मीदवारों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और 14 जुलाई, 2015 की चयन सूची रद्द करने और उन लोगों को बाहर करके चयन सूची में संशोधन करने की मांग की, जिनके पास CCC सर्टिफिकेट नहीं था या जिन्होंने 30 सितंबर, 2014 के बाद इसे प्राप्त किया था, यानी विज्ञापन की अंतिम तिथि के बाद।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने क्या कहा?
हाईकोर्ट के एकल जज ने 7 अक्टूबर, 2017 के आदेश में चयन सूची इस सीमा तक रद्द की, जिसमें उन उम्मीदवारों को शामिल किया गया, जिनके पास सर्टिफिकेट नहीं था। प्रतिवादी को उन उम्मीदवारों तक सीमित करके सूची को फिर से तैयार करने का निर्देश दिया, जिनके पास अपेक्षित सर्टिफिकेट था। इसने उम्मीदवारों के स्व-प्रमाणन के खिलाफ भी फैसला सुनाया।
13 मई, 2018 को प्रतिवादी विद्युत सेवा आयोग ने उन उम्मीदवारों की सूची प्रकाशित की, जिनका चयन हाईकोर्ट के अनुसार पात्रता के अनुसार नहीं पाया गया। हालांकि इसमें वे अभ्यर्थी भी शामिल थे, जिनके पास इंटरव्यू की तिथि को प्रमाण-पत्र था, इस आधार पर कि उनके पास आवेदन भरने की अंतिम तिथि तक प्रमाण-पत्र नहीं था। 13 मई, 2018 को समाप्ति पत्र के माध्यम से नियुक्ति रद्द कर दी गई।
इसके खिलाफ, आवेदकों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष रिट याचिका दायर की। 9 मई, 2019 को खंडपीठ ने विशेष अपील की अनुमति दी। 7 अक्टूबर का आदेश रद्द कर दिया और निर्देश दिया कि चयनित पदाधिकारियों की नियुक्ति सहित चयन की पूरी प्रक्रिया से संबंधित स्थिति, जो रिट याचिकाओं की स्वीकृति से पहले थी, बहाल की जाए। इसने माना कि कंप्यूटर साहित्य के लिए स्व-प्रमाणन हमेशा स्वीकार्य था। इसलिए, स्व-प्रमाणन वाले सीसीसी प्रमाणपत्र को स्वीकार किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा
9 मई को खंडपीठ के आदेश के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में तीन अपीलें दायर की गईं। 16 दिसंबर, 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने सिविल अपीलों को स्वीकार कर लिया और खंडपीठ का आदेश रद्द कर दिया।
न्यायालय ने स्पष्ट किया कि एकल जज के आदेश ने पूरी चयन सूची रद्द नहीं की, क्योंकि जिन उम्मीदवारों के पास अपेक्षित सर्टिफिकेट है, उनकी चयन सूची में स्थिति में कोई बदलाव नहीं किया गया। इसने यह भी स्पष्ट किया कि विज्ञापन में उल्लिखित CCC सर्टिफिकेट DOEACC/NIELIT द्वारा दिया गया CCC सर्टिफिकेट है।
इसके बाद अन्य रिट याचिका में आवेदकों ने सुप्रीम कोर्ट से यह निर्देश मांगा कि उन्हें उनकी सेवाओं में बहाल किया जाना चाहिए, क्योंकि उनकी बर्खास्तगी 16 दिसंबर, 2019 के फैसले के विरुद्ध है। उनकी दलील के अनुसार, पूरी चयन प्रक्रिया रद्द नहीं की जानी चाहिए, क्योंकि इंटरव्यू के समय उनके पास प्रमाणपत्र था। प्रतिवादी ने पूरी प्रक्रिया रद्द की थी, क्योंकि उम्मीदवारों ने आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि यानी 30 सितंबर, 2014 को सर्टिफिकेट प्राप्त नहीं किया था। उन्होंने केवल इंटरव्यू से पहले यानी 4 जुलाई, 2015 को प्रमाण पत्र प्राप्त किया था।
रिट याचिका 30 जनवरी, 2023 खारिज कर दी गई, लेकिन न्यायालय ने आवेदकों को 2019 के मामले में उपयुक्त आवेदन करने की स्वतंत्रता दी। इस तरह से वर्तमान अपील न्यायालय के समक्ष थी।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा:
"इस प्रकार यह पूर्वोक्त से स्पष्ट है कि ऐसे उम्मीदवार जिनके पास इंटरव्यू की तिथि पर DOEACC/NIELIT द्वारा जारी CCC सर्टिफिकेट था, जो 14 जुलाई 2015 की चयन सूची का हिस्सा थे, उन्हें प्रतिवादी-निगम द्वारा समाप्त नहीं किया जा सकता।"
न्यायालय ने पाया कि प्रतिवादी ने CCC सर्टिफिकेट पर विरोधाभासी रुख अपनाया।
इसने टिप्पणी की:
"ऐसा भी प्रतीत होता है कि प्रतिवादी-निगम विरोधाभासी रुख अपना रहा है। हाईकोर्ट के समक्ष इसने यह रुख अपनाया कि न केवल ऐसे उम्मीदवार जिनके पास DOEACC/NIELIT द्वारा जारी CCC सर्टिफिकेट है, बल्कि ऐसे उम्मीदवार जिन्होंने स्व-प्रमाणन द्वारा सर्टिफिकेट प्रस्तुत किया, वे भी विचार किए जाने के हकदार हैं। यह केवल अब है कि प्रतिवादी-निगम यह रुख अपना रहा है कि ऐसे उम्मीदवार जिनके पास 30 सितंबर 2014 को CCC सर्टिफिकेट नहीं था, यानी आवेदन की अंतिम तिथि को, उन्हें पात्र उम्मीदवार नहीं माना जा सकता। यह रुख न केवल 6 सितंबर 2014 के अपने विज्ञापन के विपरीत है, बल्कि बोर्ड के 29 जनवरी 2011 के कार्यालय ज्ञापन के भी विपरीत है, जिसके तहत 1995 के विनियमों में संशोधन किया गया।"
केस टाइटल: मुकुल कुमार त्यागी बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य, सिविल अपील संख्या 9026/2019