अनुकंपा नियुक्तियां केवल सरकारी कर्मचारियों के रिश्तेदारों के लिए, विधायकों के लिए नहीं: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (2 दिसंबर) को केरल हाईकोर्ट के उस आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार किया, जिसमें दिवंगत विधायक रामचंद्रन नायर के बेटे की राज्य के लोक निर्माण विभाग में 'अनुकंपा रोजगार' के तहत नियुक्ति रद्द कर दी गई थी।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) सीजेआई संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की खंडपीठ केरल हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ चुनौती पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें दिवंगत सीपीआई(एम) विधायक के.के. रामचंद्रन नायर के बेटे आर. प्रशांत की लोक निर्माण विभाग में अनुकंपा नियुक्ति रद्द कर दी गई।
कोर्ट ने फैसला सुनाया कि ऐसी नियुक्तियां केवल सरकारी कर्मचारियों के रिश्तेदारों के लिए हैं, विधायकों के लिए नहीं।
प्रशांत को लोक निर्माण विभाग में असिस्टेंट इंजीनियर (इलेक्ट्रिक) के पद पर नियुक्त किया गया, जब उनके पिता नायर, जो पहली बार विधायक बने थे, उनका 2018 में स्वास्थ्य समस्याओं के कारण निधन हो गया।
खंडपीठ ने आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए इसे खारिज किया, जबकि याचिकाकर्ता को अब तक नौकरी से प्राप्त वेतन को बरकरार रखने की अनुमति दी।
कोर्ट ने कहा,
"हमें नहीं लगता कि हमें भारत के संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत अपने विवेकाधीन अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करना चाहिए।"
राज्य की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट जयदीप गुप्ता ने जब प्रस्तुत किया कि राज्य ने भी फैसले को चुनौती देते हुए एसएलपी दायर की है, तो सीजेआई खन्ना ने कहा, "आपको ऐसा नहीं करना चाहिए था।"
याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट वी गिरी ने प्रस्तुत किया कि न्यायालय द्वारा क्वो वारंटो की रिट जारी की गई। इसका अर्थ यह हो सकता है कि याचिकाकर्ता द्वारा की गई सभी कार्रवाइयां शून्य होंगी।
इसके बाद खंडपीठ ने आदेश में यह भी जोड़ा कि याचिकाकर्ता को दी गई सेवाओं के लिए किए गए भुगतान की वसूली नहीं की जाएगी।
केस टाइटल: आर. प्रशांत बनाम अशोक कुमार एम. | एसएलपी (सी) नंबर 020871 - / 2021