सुप्रीम कोर्ट ने ED की गिरफ्तारी के खिलाफ हेमंत सोरेन को हाईकोर्ट जाने को कहा

Update: 2024-02-02 05:22 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (2 फरवरी) को झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा कथित भूमि घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली रिट याचिका पर विचार करने से इनकार किया।

कोर्ट ने सोरेन को संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत झारखंड हाई कोर्ट जाने को कहा। न्यायालय ने कहा कि सोरेन उच्च न्यायालय के समक्ष अपनी याचिका को शीघ्र सूचीबद्ध करने की मांग कर सकते हैं।

सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी के साथ गुरुवार को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष सोरेन के मामले का उल्लेख किया, जो शुक्रवार को तत्काल सुनवाई के लिए सहमत हुए।

तदनुसार, झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) अध्यक्ष की रिट याचिका पर सुनवाई के लिए जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की विशेष पीठ का गठन किया गया था।

मामले की सुनवाई होते ही जस्टिस खन्ना ने सिब्बल से पूछा कि हाई कोर्ट में याचिका क्यों नहीं दाखिल की जा सकती।

सिब्बल ने कहा,

"अगर इस तरह के मामलों में यह अदालत संदेश नहीं भेजती है... हम ऐसे मुख्यमंत्री से निपट रहे हैं, जिसे गिरफ्तार किया गया है। सबूत देखें। यह उचित नहीं है।"

जस्टिस खन्ना ने कहा,

"हाईकोर्ट संवैधानिक अदालतें हैं। अगर हम एक व्यक्ति को यहां आने की अनुमति देते हैं तो हमें सभी को अनुमति देनी होगी।"

उन्होंने ED के समन के खिलाफ सोरेन की याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए पहले के आदेश की ओर भी इशारा किया, जिसमें उन्हें हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने के लिए कहा गया था।

जस्टिस खन्ना ने आगे बताया कि रिट याचिका मूल रूप से ED के समन को चुनौती देते हुए दायर की गई और अब जब उन्हें बाद में गिरफ्तार कर लिया गया तो वैकल्पिक उपायों का लाभ उठाया जाना चाहिए।

संयोग से, सोरेन ने ED की गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। बाद में इसी तरह की याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई, जिसमें सिब्बल ने गुरुवार को हाईकोर्ट में दायर याचिका वापस लेने का वादा किया।

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