PMLA के तहत कुर्क कॉर्पोरेट देनदार की संपत्ति सुप्रीम कोर्ट ने सफल समाधान आवेदक को लौटाने का आदेश दिया
सुप्रीम कोर्ट ने धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) की धारा 8(8) के दूसरे प्रावधान का उपयोग करते हुए V Hotels Limited की जब्त संपत्तियों को उसके सफल समाधान आवेदक (SRA) Macrotech Developers Limited को लौटाने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह आदेश मामले की विशिष्ट परिस्थितियों और पक्षों की सहमति पर आधारित है और इसे नज़ीर (precedent) नहीं माना जाएगा।
मामले की पृष्ठभूमि
V Hotels Limited, IBC के तहत दिवाला प्रक्रिया में गया था और NCLT, मुंबई ने Macrotech Developers की समाधान योजना को मंज़ूरी दी, जिसे बाद में सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2024 में बरकरार रखा। इस बीच, प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने PMLA के तहत जांच शुरू करते हुए V Hotels की संपत्तियों को अस्थायी रूप से जब्त कर लिया था।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने बाद में ED की कुर्की को निरस्त कर दिया, जिसके खिलाफ ED सुप्रीम कोर्ट पहुंची।
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने कहा कि संलग्न संपत्तियों का स्थानापन्न पहले ही कोर्ट के आदेश के अनुसार हुई धनराशि जमा करके किया जा चुका है। ऐसे में, PMLA की धारा 8(8) के तहत संपत्ति SRA को लौटाई जानी चाहिए, विशेषकर जब वह सफल समाधान योजना के तहत कॉर्पोरेट देनदार के स्थान पर आ चुका है।
कोर्ट ने यह भी कहा:
“यह आदेश केवल इस मामले की विशेष परिस्थितियों और पक्षों की सहमति के आधार पर पारित किया जा रहा है। सभी कानूनी प्रश्न भविष्य के मामलों के लिए खुले रहेंगे।”
धारा 32A IBC का लाभ
कोर्ट ने IBC की धारा 32A का हवाला देते हुए कहा कि:
- कॉर्पोरेट देनदार का नाम आरोपी सूची से हटाया जाए।
- पूर्व निदेशक और प्रवर्तकों के खिलाफ कार्रवाई जारी रहेगी।
- धारा 32A का संरक्षण तभी लागू होगा जब SRA का पुराने प्रमोटरों से कोई संबंध न हो और वह कथित अपराध से अर्जित धन का लाभार्थी न हो।
कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि जांच में कोई विपरीत तथ्य सामने आए, तो ED समाधान योजना को चुनौती देने सहित कानून के अनुसार कदम उठा सकती है।
ED की चुनौती समाप्त
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ED द्वारा समाधान योजना को दी गई किसी भी चुनौती का मुद्दा अब समाप्त हो गया है, और एजेंसी का V Hotels या योजना में शामिल किसी संपत्ति पर कोई अधिकार या लियन नहीं बचता।
इसके साथ ही कोर्ट ने निर्देश दिया कि SRA द्वारा 2 जुलाई 2025 के कोर्ट आदेश के अनुसार जमा की गई राशि दो सप्ताह में ब्याज सहित वापस की जाए।
फैसला नज़ीर नहीं बनेगा
अंत में कोर्ट ने दोहराया कि यह आदेश केवल इस मामले की विशेष परिस्थिति और पक्षों की सहमति पर आधारित है और भविष्य के मामलों में इसका हवाला नहीं दिया जा सकेगा।