सुप्रीम कोर्ट ने ओवरग्राउंड वर्कर की हिरासत रद्द करने के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर नोटिस जारी किया

Update: 2025-05-03 05:27 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने विशेष अनुमति याचिका (SLP) में नोटिस जारी किया, जिसमें जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट द्वारा पारित उस आदेश को चुनौती दी गई। इस आदेश में हाईकोर्ट ने उत्तरदायी व्यक्ति (प्रतिवादी) की हिरासत (डिटेंशन) को रद्द कर दिया गया था।

जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने यह नोटिस जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश की ओर से दायर याचिका पर जारी किया, जिसमें एडवोकेट पार्थ अवस्थी ने पक्ष रखा। कोर्ट ने चार सप्ताह में उत्तर दाखिल करने योग्य नोटिस जारी किया।

मामला

23 फरवरी 2023 को जिला मजिस्ट्रेट, बांदीपोरा द्वारा हिरासत आदेश पारित किया गया, जिसमें कहा गया कि प्रतिवादी द्वारा सार्वजनिक शांति और कानून व्यवस्था को भंग करने की संभावना है। अतः उसे निरुद्ध (डिटेन) किया जाए।

यह आरोप लगाया गया कि प्रतिवादी का संबंध अलगाववादी संगठन तहरीक-ए-हुर्रियत से रहा है जिसके कई घटकों को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम 1967 (UAPA) के तहत गैरकानूनी संगठन घोषित किया गया।

यह भी कहा गया कि 2016-18 के दौरान जब हिज़बुल मुजाहिदीन के कमांडर और कुख्यात आतंकवादी बुरहान वानी की मौत के बाद कश्मीर घाटी में दंगे, बंद और हड़तालें हुईं तब प्रतिवादी ने इन संगठनों की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

हाईकोर्ट का निर्णय:

हाईकोर्ट ने हिरासत आदेश को इस आधार पर रद्द कर दिया कि यह आदेश पूर्व में 2022 में पारित हिरासत आदेश के समान ही तथ्यों पर आधारित है।

2022 का हिरासत आदेश इस कारण से रद्द किया गया कि प्रतिवादी को सभी आवश्यक दस्तावेज नहीं दिए गए। यह आदेश हाईकोर्ट के एकल जज द्वारा पारित किया गया।

2024 के हिरासत आदेश को इस आधार पर जारी किया गया कि प्रतिवादी UAPA की धारा 13 और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम की धारा 4B के तहत दर्ज एक FIR में लॉजिस्टिक समर्थन देने के आरोप में शामिल पाया गया, जिसमें वह राष्ट्रविरोधी तत्वों को विस्फोटक सामग्री पहुंचाने में मदद कर रहा था।

टाइटल: UNION TERRITORY OF JAMMU AND KASHMIR बनाम GHULAM MOHAMMAD WAZA | D. No. 16796/2025

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