सुप्रीम कोर्ट ने विधान परिषद से निष्कासन के खिलाफ RJD नेता की याचिका पर नोटिस जारी किया, सीएम नीतीश कुमार पर की थी टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) एमएलसी सुनील सिंह की याचिका पर नोटिस जारी किया। उक्त याचिका में राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ कथित तौर पर अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करने के लिए बिहार विधान परिषद से निष्कासन के खिलाफ याचिका दायर की गई।
हालांकि, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की बेंच ने कोई अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार किया।
सिंह की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने आशीष शेलार बनाम महाराष्ट्र विधानसभा का हवाला दिया, जहां कोर्ट ने कार्यकाल से अधिक विधायकों का निलंबन रद्द कर दिया था। सिंघवी ने कहा कि मौजूदा मामले में निष्कासन है। शेलार के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 12 BJP विधायकों को निलंबित करने के महाराष्ट्र विधानसभा का प्रस्ताव रद्द कर दिया था। इसने माना कि राज्य विधानमंडल की शक्तियों और विशेषाधिकारों का प्रयोग करने के लिए बनाए गए नियम भारतीय संविधान के अनुच्छेद 13 के अर्थ में कानून का गठन करते हैं।
न्यायालय को समझाने के प्रयास में सिंघवी ने कहा:
“इसका बड़ा प्रभाव यह है कि आप लोकतंत्र को नकार सकते हैं। अब मैं इस तरह नहीं बोलूंगा, वह इस तरह नहीं बोलेंगे, लेकिन माई लॉर्ड 'पलटूराम' कुछ ऐसा है, जो हमेशा से अखबारों में छपता रहा है। मैं यह नहीं कह रहा कि वह सही है। अब, वह इसे सदन में प्रकाशित करता है, जो अधिक संरक्षित है!”
यह कथित घटना इस फरवरी में हुए बजट सत्र के दौरान हुई थी। निष्कासन परिषद की आचार समिति द्वारा की गई सिफारिश के आधार पर किया गया। उनके खिलाफ आरोपों में मुख्यमंत्री को पलटूराम कहना और उनकी नकल करना शामिल था।
समिति की सिफारिश में अन्य बातों के साथ-साथ कहा गया:
“विपक्ष के मुख्य सचेतक के रूप में उनकी विधायी जिम्मेदारी सदन की नीतियों, नियमों और संवैधानिक अधिकार के प्रति अधिक होनी चाहिए। लेकिन उन्होंने अपने आचरण और व्यवहार में इसका पालन नहीं किया। सदन के वेल में आकर अनर्गल नारे लगाने, सदन को बाधित करने, स्पीकर के निर्देश की अवहेलना करने तथा अपमानजनक और असभ्य शब्दों का प्रयोग करके सदन के नेता का अपमान करने के उनके प्रयासों ने उच्च सदन की गरिमा को ठेस पहुंचाई।
“बिहार विधान परिषद की प्रक्रिया और कार्य संचालन नियमावली के नियम 290 के खंड 10 (डी) के तहत समिति सर्वसम्मति/बहुमत से अनुशंसा करती है कि डॉ. सुनील कुमार सिंह को बिहार विधान परिषद की सदस्यता से मुक्त किया जाए।”
उपर्युक्त प्रक्षेपण के विरुद्ध सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष वर्तमान रिट याचिका दायर कर रिपोर्ट को अवैध और असंवैधानिक बताते हुए उसे रद्द करने की मांग की। साथ ही रिक्ति उत्पन्न होने की अधिसूचना के अनुसरण में चुनाव घोषित न करने का निर्देश दिया।
याचिका एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड प्रियांशा शर्मा के माध्यम से दायर की गई।
केस टाइटल: सुनील कुमार सिंह बनाम बिहार विधान परिषद एवं अन्य, डब्ल्यू.पी.(सी) संख्या 530/2024