दिल्ली में आवारा कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण सुनिश्चित करने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया

Update: 2024-07-09 04:22 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने एनजीओ द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी किया। उक्त याचिका में दिल्ली में आवारा कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण सुनिश्चित करने की मांग की गई।

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता एनजीओ-कॉन्फ्रेंस फॉर ह्यूमन राइट्स के वकील की सुनवाई के बाद यह आदेश पारित किया, जिन्होंने तर्क दिया कि अधिकारियों द्वारा कोई नसबंदी/टीकाकरण अभ्यास नहीं किया गया।

याचिकाकर्ता एनजीओ और त्रिवेणी अपार्टमेंट वेलफेयर एसोसिएशन ने आवारा कुत्तों की नसबंदी सुनिश्चित करने के लिए दो जनहित याचिकाओं के साथ दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उनका मामला यह है कि पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के तहत बनाए गए पशु जन्म नियंत्रण (कुत्ते) नियम, 2001 का अनुपालन नहीं किया गया।

उक्त नियमों के अनुसार, अधिकारियों का कर्तव्य है कि वे आवारा कुत्तों की बढ़ती आबादी को कम करने के लिए नियमित रूप से नसबंदी और टीकाकरण कार्यक्रम चलाएं।

याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि वैधानिक कर्तव्यों का पालन न करने के कारण दिल्ली में आवारा कुत्तों की आबादी में तेजी से वृद्धि हुई है, जिसके परिणामस्वरूप कुत्तों के काटने के मामलों में वृद्धि हुई है।

हालांकि, दिल्ली सरकार की पशुपालन इकाई और दक्षिणी दिल्ली नगर निगम द्वारा दायर हलफनामों से संतुष्ट होकर हाईकोर्ट ने याचिकाओं का निपटारा कर दिया, जिसमें कहा गया कि अधिकारी नियमित रूप से आवारा कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण कर रहे हैं और अपने वैधानिक कर्तव्यों का पालन कर रहे हैं।

दिल्ली सरकार और संबंधित नागरिक अधिकारियों को निम्नलिखित शर्तों के तहत प्रयास जारी रखने का निर्देश दिया गया,

"प्रतिवादियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया जाता है कि वे आवारा कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण के लिए अपने प्रयास और अभियान जारी रखें, क्योंकि यह महत्वपूर्ण सार्वजनिक कार्य है और इसे पूरी ईमानदारी से किया जाना चाहिए।"

हाईकोर्ट के आदेश से व्यथित होकर याचिकाकर्ता एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

याचिकाकर्ता के वकील ने कहा,

"कुत्तों के काटने की समस्या है। हमने आरटीआई लगाई है, नतीजा यह हुआ है कि उन्होंने व्यावहारिक रूप से कोई नसबंदी नहीं की है। हमारी प्रार्थना है कि वे अपनी वेबसाइट पर प्रदर्शित करें, जिससे लोगों को पता चले कि वे नसबंदी कर रहे हैं"।

वकील को बीच में रोकते हुए जस्टिस विश्वनाथन ने बताया कि याचिकाकर्ता आवारा कुत्तों को पिंजरे में बंद करने की भी प्रार्थना कर रहा था। जवाब में वकील ने स्पष्ट किया कि एकमात्र प्रार्थना यह थी कि नसबंदी होनी चाहिए और डेटा संबंधित वेबसाइट पर प्रदर्शित किया जाना चाहिए।

अंततः याचिकाकर्ता की याचिका पर नोटिस जारी किया गया और भारत संघ से जवाब मांगा गया।

केस टाइटल: कॉन्फ़्रेंस फ़ॉर ह्यूमन राइट्स (भारत) (पंजीकृत) बनाम भारत संघ, डायरी नंबर- 9352/2024

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