मोहाली-चंडीगढ़ विरोध प्रदर्शन के खिलाफ हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ कौमी इंसाफ मोर्चा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया
सिख कैदियों की रिहाई की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों द्वारा मोहाली-चंडीगढ़ सीमा पर सड़कों को अवरुद्ध करने से संबंधित पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ कौमी इंसाफ मोर्चा द्वारा दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया।
जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस केवी विश्वनाथन और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ के समक्ष यह मामला था, जिसने इसे इसी तरह के लंबित मामले के साथ जोड़ दिया।
संक्षेप में मामला
याचिकाकर्ता-कौमी इंसाफ मोर्चा ने जनवरी, 2023 में पंजाब में विरोध प्रदर्शन शुरू किया। इसमें फरीदकोट में 2015 में हुई बेअदबी और पुलिस गोलीबारी की घटनाओं के लिए न्याय की मांग की गई। साथ ही उन सिख कैदियों की रिहाई की भी मांग की गई, जिन्होंने कथित तौर पर अपनी जेल की सजा पूरी कर ली है। इन कैदियों में पंजाब के पूर्व सीएम बेअंत सिंह की हत्या के दोषी बलवंत सिंह राजोआना और 1993 के दिल्ली बम विस्फोट के दोषी देविंदरपाल सिंह भुल्लर शामिल हैं।
चंडीगढ़-मोहाली सीमा के पास वाईपीएस चौक पर विरोध प्रदर्शन/धरना किया गया, जिससे यातायात संबंधी गंभीर समस्याएं पैदा हुईं। इसके कारण प्रतिवादी एनजीओ-अराइव सेफ सोसाइटी ने मार्च, 2023 में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के समक्ष जनहित याचिका दायर की। उक्त याचिका में आरोप लगाया गया कि विरोध प्रदर्शन से स्कूल जाने वाले स्टूडेंट और मेडिकल सुविधाओं की आवश्यकता वाले लोगों सहित आम जनता को असुविधा हो रही है।
प्रारंभिक सुनवाई के दौरान, राज्य ने सुझाव दिया कि साइट को खाली करने के लिए केंद्र सरकार की एजेंसियों की सहायता से चंडीगढ़ पुलिस और पंजाब पुलिस द्वारा संयुक्त अभियान चलाना उचित होगा। नतीजतन, न्यायालय ने केंद्र सरकार को पक्षकार बनाया। हाईकोर्ट ने चेतावनी दी कि यदि आवश्यक हो तो वह बल प्रयोग करके सड़कें साफ करवाएगा: "सार्वजनिक सड़कों को अवरुद्ध नहीं किया जा सकता है और आम जनता को असुविधा नहीं दी जा सकती है"।
अप्रैल, 2024 में हाईकोर्ट ने बार-बार अवसरों के बावजूद प्रदर्शनकारियों द्वारा अवरुद्ध सड़कों को साफ नहीं करने के लिए राज्य अधिकारियों की खिंचाई की।
हाईकोर्ट ने कहा,
"बार-बार अवसर दिए जाने के बावजूद, न तो पंजाब राज्य और न ही केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ चंडीगढ़ और एसएएस नगर मोहाली के यात्रियों को कोई राहत दे पाया है। मुट्ठी भर लोगों के सड़क पर बैठे रहने और उसे अवरुद्ध करने के कारण यात्रियों और ट्राई-सिटी के निवासियों को असुविधा हो रही है और यह परेशानी जारी है।"
रिकॉर्ड में मौजूद तस्वीरों को देखते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि "कोई बड़ी भीड़ नहीं थी", फिर भी राज्य के अधिकारी अपने कदम पीछे खींच रहे थे।
हाईकोर्ट ने आगे कहा,
"इस तथ्य के बावजूद कि यह सर्वविदित है कि ग्रामीण पृष्ठभूमि के सभी आंदोलनकारी फसल काटने में व्यस्त हैं और सड़क की रुकावट को हटाने का यह सबसे उपयुक्त समय है।"
हाईकोर्ट का यह भी मानना है कि प्रदर्शनकारी धार्मिक भावनाओं का दुरुपयोग कर रहे हैं।
हाईकोर्ट ने कहा,
"केवल इस तथ्य के कारण कि कुछ प्रदर्शनकारी गुरु ग्रंथ साहिब को रखकर धार्मिक वैधता की ढाल के पीछे छिपे हुए हैं, राज्य को संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई न करने का कारण नहीं मिलेगा, जो धार्मिक भावनाओं का दुरुपयोग कर रहे हैं"।
इस आदेश से व्यथित होकर याचिकाकर्ता कौमी इंसाफ मोर्चा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
केस टाइटल: कौमी इंसाफ मोर्चा बनाम अराइव सेफ सोसाइटी व अन्य, डायरी नंबर 29992-2024