सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट बार एसोसिएशन को कोर्ट के काम से विरत रहने के लिए अवमानना ​​नोटिस जारी किया

Update: 2024-08-15 04:40 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के सचिव को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा कि जुलाई 2024 में काम से विरत रहने वाले वकीलों के खिलाफ अवमानना ​​कार्रवाई क्यों न शुरू की जाए।

जस्टिस अभय ओक और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ ने अपील पर विचार करते हुए कहा कि हाई कोर्ट द्वारा पारित विवादित आदेश में दर्ज है कि याचिकाकर्ता के वकील काम से विरत रहने के कारण आदेश की तिथि (26 जुलाई, 2024) को हाई कोर्ट से अनुपस्थित थे। हाईकोर्ट द्वारा उसकी रिट याचिका खारिज किए जाने के बाद अपीलकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

कार्यवाही के दौरान जस्टिस अभय ओक ने कहा,

“प्रथम दृष्टया, कोर्ट के काम से विरत रहने का वकीलों का आचरण इस न्यायालय द्वारा निर्धारित स्थापित कानून के विपरीत है। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के सचिव को नोटिस जारी कर सचिव से पूछा गया कि बार एसोसिएशन और उसके पदाधिकारियों के खिलाफ अवमानना ​​की कार्रवाई क्यों न शुरू की जाए। नोटिस को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को भेजा जाएगा, जिससे उस पर कार्रवाई की जा सके। हर मामले में जहां हमें ऐसा आदेश मिलता है - वकील अनुपस्थित रहते हैं - हम अवमानना ​​के लिए बार एसोसिएशन को नोटिस जारी कर रहे हैं। इसे रोका जाना चाहिए। वे हाईकोर्ट के कामकाज को बाधित करते हैं।"

सुप्रीम कोर्ट के साथ-साथ विभिन्न हाईकोर्ट ने अक्सर वकीलों के हड़ताल पर जाने की निंदा की। पिछले महीने कोर्ट ने विशाखापत्तनम बार एसोसिएशन को अदालती काम से अनुपस्थित रहने और इस तरह विशाखापत्तनम में ऋण वसूली न्यायाधिकरण (DRT) को काम करने से रोकने के लिए अवमानना ​​नोटिस जारी किया।

पिछले साल नवंबर में कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट में वकीलों के काम के बहिष्कार की निंदा की थी और राजस्थान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन और बार काउंसिल ऑफ इंडिया को नोटिस जारी किया था। 2021 में राजस्थान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन, जयपुर ने हड़ताल के हिस्से के रूप में हाईकोर्ट की एक पीठ का बहिष्कार करने के लिए अवमानना ​​कार्यवाही में सुप्रीम कोर्ट से 'बिना शर्त और बिना शर्त माफ़ी' मांगी थी। न्यायालय ने कहा कि वकीलों की हड़ताल कोई समाधान नहीं है और यह स्थिति को और खराब करती है।

अप्रैल 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाईकोर्ट को शिकायत निवारण प्रकोष्ठों का गठन करने का निर्देश दिया, जिसके माध्यम से वकील हड़ताल का सहारा लिए बिना अपने मुद्दे उठा सकते हैं।

पिछले साल सितंबर में सुप्रीम कोर्ट ने ओडिशा के एक बार एसोसिएशन को अपने सदस्य की मृत्यु का हवाला देते हुए एक दिन के लिए अदालती काम से दूर रहने के लिए नोटिस जारी किया।

कानपुर बार एसोसिएशन और वकीलों के संघ द्वारा लगातार हड़ताल पर जनहित याचिका में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश (जिला अदालतों का बहिष्कार करने से परहेज करने) के बावजूद अपनी हड़ताल जारी रखने के लिए बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों के खिलाफ अवमानना ​​के आरोप तय किए। हाईकोर्ट ने 1 जुलाई 2023 से 30 अप्रैल 2024 के बीच 127 दिनों तक वकीलों की हड़ताल को लेकर जिला न्यायालय बार एसोसिएशन, प्रयागराज के अध्यक्ष और सचिव को अवमानना ​​नोटिस जारी किया।

केस टाइटल- मेसर्स एम3एम इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और अन्य बनाम भारत संघ और अन्य।

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