सुप्रीम कोर्ट ने ED की याचिका का निपटारा किया, तमिलनाडु सरकार ने कहा- जिला कलेक्टर रेत खनन मामलों से संबंधित दस्तावेज साझा करेंगे
सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) की उस याचिका का निपटारा किया, जिसमें कथित अवैध रेत खनन-धन शोधन मामलों के संबंध में तमिलनाडु के जिला कलेक्टरों को जारी समन पर रोक लगाने का विरोध किया गया।
जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने कार्यवाही बंद करते हुए कहा कि ED द्वारा जिला कलेक्टरों से मांगे गए अधिकांश दस्तावेज मुहैया करा दिए गए। शेष दस्तावेज एक सप्ताह के भीतर मुहैया कराने पर सहमति बनी है।
आदेश सुनाते हुए जस्टिस त्रिवेदी ने कहा,
"याचिकाकर्ता (ED) के वकील का कहना है कि लगभग 36 दस्तावेज/एफआईआर अभी भी उनके पास उपलब्ध नहीं हैं और जिनकी सूची प्रतिवादियों के वकील को पहले ही सौंप दी गई है। प्रतिवादियों (तमिलनाडु राज्य) के विद्वान वकील का कहना है कि प्रतिवादी एक सप्ताह के भीतर उक्त एफआईआर की प्रतियां प्रस्तुत करेंगे। उपरोक्त के मद्देनजर, वर्तमान एसएलपी में कोई और आदेश पारित करने की आवश्यकता नहीं है। इसलिए एसएलपी तदनुसार निपटाई जाती है।"
यह नोट किया गया कि कार्यालय की रिपोर्ट के अनुसार, प्रतिवादियों द्वारा दायर कुछ पुनर्विचार याचिकाएं लंबित हैं। सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल के इस कथन पर कि प्रतिवादी मामले को आगे बढ़ाने के इच्छुक नहीं थे, उनका भी निपटारा कर दिया गया।
संक्षेप में मामला
न्यायालय मद्रास हाईकोर्ट के नवंबर 2023 के फैसले के खिलाफ ED द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिकाओं पर विचार कर रहा था, जिसके तहत वेल्लोर, त्रिची, करूर, तंजावुर और अरियालुर जिलों के जिला कलेक्टरों को ED द्वारा जारी समन के संचालन पर रोक लगा दी गई थी। उल्लेखनीय रूप से, समन पर रोक इसलिए लगाई गई, क्योंकि हाईकोर्ट का मानना था कि ED अपराध की आय के अस्तित्व का पता लगाए बिना "समय व्यतीत करने" वाली जांच कर रहा है। हालांकि, जांच जारी रखने की अनुमति दी गई।
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी और जिला कलेक्टरों को ED के समन का पालन करने का निर्देश दिया। जब वे उपस्थित हुए तो एक मुद्दा उठा कि कलेक्टरों से ED द्वारा मांगे गए कुछ दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए गए। इसके बाद दस्तावेजों के उत्पादन की स्थिति की निगरानी के लिए मामले को कुछ मौकों पर स्थगित कर दिया गया। आज पक्षों द्वारा दिए गए बयानों के मद्देनजर, कार्यवाही अंततः बंद कर दी गई।
केस टाइटल: प्रवर्तन निदेशालय बनाम तमिलनाडु राज्य और अन्य, एसएलपी (सीआरएल) नंबर 1959-1963/2024