सुप्रीम कोर्ट ने रोटावैक वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल डेटा प्रकाशित करने की याचिका खारिज की

Update: 2024-08-06 10:16 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने वह जनहित याचिका खारिज कर दी, जिसमें दस्त से बचाव के लिए शिशुओं को दिए जाने वाले रोटावैक वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल (चरण III) की अलग-अलग तिथि प्रकाशित करने की मांग की गई थी।

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की खंडपीठ ने कहा कि न्यायालय टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (NTAGI) की विशेषज्ञ समिति द्वारा लिए गए निर्णय पर अपील नहीं कर सकता।

एस श्रीनिवासन ने 2016 में याचिका दायर कर 2011-2013 के बीच रोटावायरस के खिलाफ वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल के डेटा को प्रकाशित करने की मांग की।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण ने पूछा कि चूंकि क्लिनिकल ट्रायल डेटा पहले ही एकत्र किया जा चुका है, इसलिए इसे जारी करने में क्या बाधा है। उन्होंने कहा कि हेलसिंकी दिशा-निर्देश, 2015, बायोएथिक्स कमेटी और ICMR दिशा-निर्देश, 2017 के अनुसार ट्रायल डेटा को आम जनता के सामने प्रकट किया जाना चाहिए।

क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लोर (क्लिनिकल ट्रायल किया गया) की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट देवदत्त कामत ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि यह उचित शोध के बिना सुनी-सुनाई अखबारों की रिपोर्टों पर आधारित है।

उन्होंने जैकब पुलियेल मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया, जिसमें COVID-19 टीकों के संबंध में क्लिनिकल ट्रायल डेटा प्रकाशित करने की याचिका खारिज कर दी गई।

केस टाइटल: एस. श्रीनिवासन बनाम भारत संघ और अन्य। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय सचिव और अन्य।

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