NH-544 के पलियेक्कारा में टोल वसूली लेने पर लगी रोक, सुप्रीम कोर्ट ने NHAI की अपील खारिज की
सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) द्वारा दायर अपील खारिज की, जिसमें केरल हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी गई थी। इस फैसले में राष्ट्रीय राजमार्ग 544 पर एडापल्ली-मन्नुथी खंड की खराब स्थिति के कारण त्रिशूर जिले के पलियेक्कारा टोल बूथ पर टोल वसूली रोक दी गई थी।
न्यायालय ने टोल वसूली करने वाली रियायतग्राही गुरुवायूर इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड की अपील को भी खारिज कर दिया।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की खंडपीठ ने सोमवार को फैसला सुरक्षित रख लिया था। मंगलवार शाम को जारी आदेश में खंडपीठ ने कहा कि अपीलें खारिज की जाती हैं।
सुनवाई के दौरान, खंडपीठ ने सड़क खंड की खराब स्थिति के लिए NHAI की कड़ी आलोचना की थी, जहां पिछले सप्ताहांत 12 घंटे तक यातायात जाम रहा था। खंडपीठ ने पूछा कि अगर सड़क वाहन चलाने लायक हालत में नहीं है, तो यात्रियों से टोल कैसे वसूला जा सकता है।
खंडपीठ ने कहा,
"अगर किसी व्यक्ति को सड़क के एक छोर से दूसरे छोर तक पहुंचने में 12 घंटे लगते हैं तो उसे 150 रुपये क्यों देने चाहिए?"
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस बीआर गवई ने कहा,
"जिस सड़क पर एक घंटा लगने की उम्मीद है, उसमें 11 घंटे और लग जाते हैं और उन्हें टोल भी देना पड़ता है!"
जस्टिस विनोद चंद्रन ने सड़क पर यातायात की भीड़भाड़ से संबंधित मीडिया रिपोर्टों का हवाला दिया। दोनों जजों ने यह भी कहा कि उन्होंने इस मार्ग पर यातायात की भीड़भाड़ का व्यक्तिगत रूप से अनुभव किया।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता NHAI की ओर से पेश हुए। सीनियर एडवोकेट श्याम दीवान रियायतग्राही की ओर से पेश हुए। सीनियर एडवोकेट जयंत मुथुराज ने उन यात्रियों का प्रतिनिधित्व किया, जिन्होंने टोल वसूली के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
6 अगस्त के अपने फैसले में केरल हाईकोर्ट की खंडपीठ ने चार सप्ताह के लिए टोल वसूली स्थगित करने का आदेश इस आधार पर दिया कि एडापल्ली-मन्नुथी मार्ग का रखरखाव ठीक से नहीं किया जा रहा है और निर्माण कार्यों में देरी के कारण उस पर भारी यातायात जाम लग रहा है।
न्यायालय ने कहा कि जब सड़कों के खराब रखरखाव और उसके परिणामस्वरूप यातायात जाम के कारण राजमार्ग तक पहुंच बाधित हो तो जनता से टोल शुल्क नहीं वसूला जा सकता।
हाईकोर्ट ने कहा था,
"यह याद रखना चाहिए कि राजमार्ग का उपयोग करने के लिए जनता टोल पर उपयोगकर्ता शुल्क का भुगतान करने के लिए बाध्य है। इससे राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण पर यह ज़िम्मेदारी आती है कि वह NHAI या उसके एजेंटों, जो रियायतग्राही हैं, द्वारा उत्पन्न किसी भी बाधा के बिना सुचारू यातायात सुनिश्चित करे। जनता और NHAI के बीच यह रिश्ता जनता के विश्वास के बंधन से बंधा है। जैसे ही इसका उल्लंघन होता है, वैधानिक प्रावधानों के माध्यम से जनता से टोल शुल्क वसूलने का अधिकार जनता पर थोपा नहीं जा सकता।"
Case Details : NATIONAL HIGHWAY AUTHORITY OF INDIA AND ANR. Versus O.J JANEESH AND ORS| SLP(C) No. 22579/2025