सुप्रीम कोर्ट ने मुल्तानी हत्याकांड में एफआईआर रद्द करने की पंजाब के पूर्व DGP सुमेध सिंह सैनी की याचिका खारिज की

Update: 2024-09-11 05:07 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के पूर्व पुलिस महानिदेशक (DGP) सुमेध सिंह सैनी द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका खारिज की, जिसमें मुल्तानी हत्याकांड में उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द करने से इनकार करने वाले पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी।

1991 में पंजाब में उग्रवाद के दौरान, बलवंत सिंह मुल्तानी (जिसे आगे 'मृतक' कहा जाएगा) की कथित तौर पर हिरासत में यातना के कारण हत्या कर दी गई।

कथित तौर पर चंडीगढ़ के एसएसपी के रूप में सैनी के कार्यकाल के दौरान 11 दिसंबर, 1991 की सुबह चंडीगढ़ की पुलिस ने मृतक के घर पर धावा बोला और बिना कोई कारण बताए उसे जबरन और अवैध रूप से ले गई। कथित तौर पर उनकी अवैध हिरासत के दौरान ही मृतक (मुल्तानी) को आरोपियों द्वारा थर्ड-डिग्री ट्रीटमेंट दिया गया था।

सैनी पर धारा 364, 201, 344, 330, 219 और 120 (बी) के तहत आरोप हैं। अन्य दो आरोपियों-जगीर सिंह और कुलदीप सिंह के सरकारी गवाह बनने के बाद धारा 302 आईपीसी को बाद में जोड़ा गया।

सैनी की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहागती ने अदालत को बताया कि उनके खिलाफ मामला इसलिए दर्ज किया गया, क्योंकि वह पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ जांच मामलों में शामिल थे। रोहागती की दलीलों के अनुसार, इसी घटना पर एक समान एफआईआर को 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। हालांकि, मृतक के पिता को नई कार्यवाही दायर करने की स्वतंत्रता दी गई। उन्होंने कहा कि यह स्वतंत्रता केवल मृतक के पिता को दी गई, न कि उसके भाई को, जिसने 2011 के फैसले के 9 साल बाद एफआईआर दर्ज कराई थी।

रोहगती ने कहा कि आरोपी को राजनीतिक प्रतिशोध के कारण परेशान किया जा रहा है, जिसे इस तथ्य से भी देखा जा सकता है कि इस मामले में आरोप पत्र सुप्रीम कोर्ट द्वारा अग्रिम जमानत दिए जाने के एक दिन बाद दायर किया गया था।

एफआईआर के गुण-दोष पर विचार किए बिना अदालत ने माना कि आरोप पत्र दायर किया जा चुका है। इसलिए वह चल रही कार्यवाही में हस्तक्षेप करने के लिए इच्छुक नहीं है। हालांकि, अदालत ने याचिकाकर्ता को आरोप पत्र को चुनौती देने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने की स्वतंत्रता दी है। कहा कि आरोपित फैसले में हाईकोर्ट के निष्कर्ष चुनौती के रास्ते में नहीं आएंगे।

8 सितंबर, 2020 को दिल्ली हाईकोर्ट ने पूर्व डीजीपी को अग्रिम जमानत देने से इनकार किया।

दिसंबर, 2020 में अदालत ने एफआईआर दर्ज करने में 29 साल की देरी के कारण उन्हें अग्रिम जमानत दी थी।

केस टाइटल: सुमेध सिंह सैनी बनाम पंजाब राज्य और अन्य, डायरी नंबर 19730-2020

Tags:    

Similar News