सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को सड़क सुरक्षा की इलेक्ट्रॉनिक निगरानी के लिए MV Act की धारा 136ए लागू करने का निर्देश दिया

Update: 2024-09-03 04:40 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों को मोटर वाहन अधिनियम, 1988 (Motor Vehicles Act (MV Act)) की धारा 136ए को लागू करने के लिए तत्काल कदम उठाने का निर्देश दिया, जो सड़क सुरक्षा की इलेक्ट्रॉनिक निगरानी और प्रवर्तन से संबंधित है। कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों को इलेक्ट्रॉनिक प्रवर्तन उपकरणों से फुटेज के आधार पर चालान जारी करके केंद्रीय मोटर वाहन नियमों के नियम 167ए(ए) का अनुपालन सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया।

धारा 136ए के तहत राज्य सरकारों को राष्ट्रीय राजमार्गों, राज्य राजमार्गों और शहरी क्षेत्रों में सड़क सुरक्षा की इलेक्ट्रॉनिक निगरानी और प्रवर्तन सुनिश्चित करना अनिवार्य है, जिसकी आबादी केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित की गई। इसके अलावा, केंद्र सरकार को इलेक्ट्रॉनिक निगरानी और प्रवर्तन के लिए नियम बनाने होंगे, जिसमें स्पीड कैमरा, क्लोज-सर्किट टेलीविजन कैमरा, स्पीड गन, बॉडी वियरेबल कैमरा और ऐसी अन्य तकनीक शामिल हैं।

न्यायालय ने अपने आदेश में कहा,

“इसलिए हम निर्देश देते हैं कि सभी राज्य सरकारें नियम 167ए के अनुसार MV Act की धारा 136ए को लागू करने के लिए तत्काल कदम उठाएं। चालान जारी करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले इलेक्ट्रॉनिक प्रवर्तन उपकरणों के बारे में निर्णय लेने के बाद सभी राज्य सरकारें इलेक्ट्रॉनिक प्रवर्तन उपकरणों से फुटेज के आधार पर चालान जारी करके नियम 167ए के उप-नियम (3) का अनुपालन सुनिश्चित करेंगी। हम सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को इस आदेश की प्रतियां सभी संबंधित राज्य सरकारों को भेजने का निर्देश देते हैं।”

जस्टिस अभय ओक और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ ने धारा 136ए को अभिनव प्रावधान बताया, जिसे राज्य सरकारों को सड़क अनुशासन का पालन सुनिश्चित करने में मदद करने के लिए डिज़ाइन किया गया।

न्यायालय ने कहा,

“हमारे अनुसार धारा 136ए एक बहुत ही अभिनव प्रावधान है, जो सभी राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करने में मदद करेगा कि सड़क अनुशासन का पालन किया जाए। MV Act और नियमों के प्रावधानों का ईमानदारी से पालन किया जाए। यदि धारा 136ए लागू की जाती है तो राज्य मशीनरी को उन वाहनों और व्यक्तियों का डेटा मिलेगा, जो MV Act और नियमों के प्रावधानों का उल्लंघन कर रहे हैं, जिससे प्रावधानों का उल्लंघन करने वालों पर मुकदमा चलाया जा सके।”

सुप्रीम कोर्ट ने विशेष रूप से दिल्ली, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल की राज्य सरकारों को केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1988 के नियम 167ए के अनुसार MV Act की धारा 136ए का अनुपालन करने के लिए उठाए गए कदमों पर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया।

इन राज्यों को 6 दिसंबर, 2024 तक अपनी रिपोर्ट एमिक्स क्यूरी को सौंपनी है। न्यायालय ने इन रिपोर्टों की समीक्षा के लिए मामले को 13 दिसंबर, 2024 को निर्धारित किया। कहा कि वह MV Act के प्रावधानों का राष्ट्रव्यापी अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए अन्य राज्य सरकारों को आगे के निर्देश जारी करेगा।

केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1988 के नियम 167ए को 2021 में सातवें संशोधन द्वारा शामिल किया गया, जो धारा 136ए को लागू करने के लिए दिशा-निर्देश प्रदान करता है। इसमें प्रावधान है कि चालान जारी करने के लिए उपयोग किए जाने वाले इलेक्ट्रॉनिक प्रवर्तन उपकरणों के पास राज्य सरकार के नामित प्राधिकारी से अनुमोदन प्रमाणपत्र होना चाहिए, जो उपकरण की सटीकता और उचित संचालन को प्रमाणित करता हो। नियम में यह भी कहा गया कि इन उपकरणों को दस लाख से अधिक आबादी वाले प्रमुख शहरों में उच्च जोखिम वाले और उच्च घनत्व वाले गलियारों और महत्वपूर्ण जंक्शनों पर लगाया जाना चाहिए, जिसमें 132 अधिसूचित शहर शामिल हैं, जिससे यातायात उल्लंघनों की प्रभावी निगरानी की जा सके।

नियम 167ए के अनुसार, इलेक्ट्रॉनिक प्रवर्तन उपकरणों से प्राप्त फुटेज का उपयोग विभिन्न अपराधों के लिए चालान जारी करने के लिए किया जा सकता है, जिसमें ओवरस्पीडिंग, अनधिकृत स्थानों पर रुकना या पार्किंग करना, सुरक्षात्मक गियर नहीं पहनना, लाल बत्ती जंप करना, यातायात के अधिकृत प्रवाह के विरुद्ध वाहन चलाना और एमवी अधिनियम और नियमों के तहत निर्दिष्ट अन्य उल्लंघन शामिल हैं।

न्यायालय ने यह भी रेखांकित किया कि सड़क सुरक्षा उपायों की निगरानी के लिए सुप्रीम कोर्ट कमेटी ऑन रोड सेफ्टी के नाम से एक समिति पहले ही नियुक्त की जा चुकी है। न्यायालय ने कहा कि समिति सभी हितधारकों के विचारों को ध्यान में रखते हुए धारा 136ए और नियम 167ए के कार्यान्वयन की निगरानी कर सकती है। आवश्यक कार्रवाई को सुविधाजनक बनाने के लिए न्यायालय के आदेश की एक प्रति इस समिति को भेजी जाएगी।

न्यायालय ने यह आदेश कोयंबटूर के गंगा अस्पताल के ऑर्थोपेडिक सर्जरी विभाग के अध्यक्ष और प्रमुख डॉ. एस. राजसीकरन द्वारा सड़क दुर्घटना में हुई मौतों के मुद्दे पर दायर रिट याचिका में पारित किया।

इसी मामले में न्यायालय सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों को कैशलेस उपचार के मुद्दे पर भी विचार कर रहा है। साथ ही ऐसी व्यवस्था तैयार करने पर भी विचार कर रहा है, जिससे भारतीय साधारण बीमा निगम मुआवजे के हकदार व्यक्तियों के खातों में ऑनलाइन मुआवज़ा हस्तांतरित कर सके। पिछले सप्ताह न्यायालय ने कहा था कि वह MV Act की धारा 162(2) के तहत सड़क दुर्घटना पीड़ितों के लिए मुआवज़ा और कैशलेस उपचार के लिए वैधानिक योजना को लागू करने के लिए निर्देश पारित करेगा।

केस टाइटल- एस. राजसीकरन बनाम भारत संघ और अन्य।

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