जमानत याचिका और कानून की संवैधानिक वैधता को एक साथ चुनौती देने वाली 'पैकेज याचिका' पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी

Update: 2025-12-22 17:04 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने आज जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान उन याचिकाओं की कड़ी आलोचना की, जिनमें आरोपी एक ही याचिका में जमानत की मांग के साथ-साथ किसी कानून की संवैधानिक वैधता को भी चुनौती देता है, ताकि निचली अदालतों को दरकिनार कर सीधे शीर्ष अदालत का रुख किया जा सके।

चीफ़ जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की खंडपीठ Supreme Court में यह टिप्पणी उस याचिका पर की गई, जो प्रधुमनसिंह प्रविनसिंह राठौड़ द्वारा दायर की गई थी। याचिकाकर्ता ने अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग के साथ-साथ गुजरात भूमि हड़प अधिनियम, 2020 की संवैधानिक वैधता को भी चुनौती दी थी।

सुनवाई के दौरान चीफ़ जस्टिस सूर्यकांत ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि इस तरह की “कम्पोज़िट पैकेज” याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट स्वीकार नहीं करेगा। उन्होंने इसे एक “चालाकी भरा प्रयास” बताते हुए कहा कि याचिकाकर्ता ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट को बायपास कर सीधे सुप्रीम कोर्ट आना चाहता है।

अंततः, याचिकाकर्ता के वकील ने याचिका वापस लेने का अनुरोध किया, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को यह स्वतंत्रता दी कि वह गुजरात भूमि हड़प अधिनियम, 2020 की वैधता को चुनौती देने के लिए अलग से नई रिट याचिका दाखिल कर सकता है। वहीं, एफआईआर को रद्द कराने और अग्रिम जमानत के लिए याचिकाकर्ता को संबंधित क्षेत्राधिकार वाली अदालत का रुख करने की छूट दी गई।

याचिकाकर्ता को राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दो सप्ताह के लिए अंतरिम संरक्षण प्रदान किया, ताकि वह इस अवधि में संबंधित अदालत से उचित राहत मांग सके।

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