'आप आरोपियों को बिना सुनवाई के वर्षों तक जेल में रखने में सफल रहे': सुप्रीम कोर्ट ने ED की दोषसिद्धि दर पर उठाए सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (7 अगस्त) को एक मौखिक टिप्पणी में चिंता व्यक्त की कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) आरोपियों को वर्षों तक विचाराधीन कैदी के रूप में जेल में रखने में 'सफल' हो रहा है, जबकि उन्हें अंततः दोषी नहीं पाया जाता है।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बीआर गवई, जस्टिस एससी शर्मा और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें भूषण पावर एंड स्टील लिमिटेड (BPSL) के लिए जेएसडब्ल्यू स्टील की समाधान योजना को खारिज कर दिया गया था और BPSL के परिसमापन का निर्देश दिया गया था।
सुनवाई के दरमियान, लेनदारों की समिति की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि कैसे ईडी ने अब तक 23,000 करोड़ रुपये की राशि एकत्र की है, जिसे पीड़ितों में वितरित किया गया है। यह दलील बीपीएसएल के प्रमोटरों के खिलाफ ईडी के मामलों के संदर्भ में दी गई थी।
इसका जवाब देते हुए, चीफ जस्टिस ने पूछा, "ईडी के मामलों में अब तक दोषसिद्धि की दर क्या है?"
सॉलिसिटर जनरल ने जवाब दिया, "माई लॉर्ड, आईपीसी में भी दोषसिद्धि, कभी-कभी हमें आश्चर्य होता है कि इस व्यक्ति को कैसे बरी कर दिया जाता है।"
चीफ जस्टिस ने कहा कि अगर ईडी की जांच से जुड़े किसी मामले में अभियुक्त को दोषी नहीं भी ठहराया जाता है, तो भी वे वर्षों तक विचाराधीन कैदी बने रहते हैं!
उन्होंने कहा,
"अगर उन्हें दोषी नहीं भी ठहराया जाता है, तो भी आप वर्षों तक बिना किसी सुनवाई के उन्हें जेल में रखने में सफल हो रहे हैं।"
सॉलिसिटर जनरल ने उन उदाहरणों पर ज़ोर दिया जहां राजनेताओं के घरों पर छापे मारे गए और अत्यधिक मात्रा में धन बरामद किया गया, जहां ईडी की गिनती करने वाली मशीनें खराब हो गईं और उन्हें पूरी तरह से बदलने की ज़रूरत पड़ी।
"कुछ मामलों में जहां राजनेताओं के यहां छापे पड़े, जहां नकदी मिली, भारी नकदी के कारण हमारी मशीनें काम करना बंद कर गईं - हमें नई मशीनें लानी पड़ीं।"
उन्होंने आगे कहा कि मीडिया इंटरव्यू और YouTube चैनलों के ज़रिए ईडी के ख़िलाफ़ एक कहानी गढ़ी जा रही है।
"तो हम प्रेस इंटरव्यू और YouTube चैनल की चर्चा करके कोई कहानी नहीं गढ़ सकते, माई लॉर्ड।"
चीफ जस्टिस ने ज़ोर देकर कहा कि न्यायाधीश किसी तथाकथित कहानी के प्रभाव में आकर कोई फ़ैसला नहीं कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, "हम फिर से दोहरा रहे हैं, हम किसी कहानी के आधार पर कोई फ़ैसला नहीं करते, मैं कभी नहीं देखता... मैं टीवी चैनलों पर ख़बरें नहीं देखता, कभी-कभी सुबह मैं सिर्फ़ सुर्खियां पढ़ता हूं।"
ऑस्कर वाइल्ड का हवाला देते हुए, सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि ख़बरें न पढ़ना ही बेहतर है। उन्होंने कहा, "ऑस्कर वाइल्ड ने कहा है- अगर आप अखबार नहीं पढ़ते, तो आप अनजान हैं, अगर आप अखबार पढ़ते हैं, तो आप गलत जानकारी रखते हैं - बेहतर है कि आप अखबार न पढ़ें।"
हाल ही में, चीफ जस्टिस गवई ने ईडी से पूछा था कि उसका इस्तेमाल राजनीतिक लड़ाई के लिए क्यों किया जा रहा है।