GST Act के तहत राज्य के नियम केंद्रीय नियमों से असंगत नहीं हो सकते: सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार की अपील खारिज की

सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के उस निर्णय को बरकरार रखा, जिसमें केन्द्रीय बिक्री कर (राजस्थान) नियम, 1957 (राजस्थान सीएसटी नियम) के नियम 17(20) को केन्द्रीय बिक्री कर अधिनियम, 1956 के अधिकार क्षेत्र से बाहर बताते हुए निरस्त कर दिया गया था। न्यायालय ने कहा कि राज्य सरकार फॉर्म सी को रद्द करने का अधिकार देकर अपनी प्रदत्त शक्तियों का अतिक्रमण नहीं कर सकती, जिसकी केन्द्रीय नियम अनुमति नहीं देते।
जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने राजस्थान राज्य की अपील को खारिज कर दिया, जिसमें केन्द्रीय और राज्य कानूनों के बीच असंगति के कारण नियम 17(2) को अधिकार क्षेत्र से बाहर घोषित करने के हाईकोर्ट के निर्णय को चुनौती दी गई थी। इसका कारण यह है कि राजस्थान सीएसटी नियम धोखाधड़ी से प्राप्त किए गए फॉर्म सी को रद्द करने की अनुमति देते हैं, हालांकि, केन्द्रीय नियम (पंजीकरण और टर्नओवर नियम, 1957) फॉर्म सी निर्धारित करते हैं, लेकिन इसके रद्द करने का प्रावधान नहीं करते हैं।
न्यायालय ने कहा कि यदि केन्द्रीय नियमों में फॉर्म सी को रद्द करने का प्रावधान नहीं है, तो राज्य धोखाधड़ी, गलत बयानी या कानूनी उल्लंघन के मामलों में भी ऐसे रद्दीकरण की अनुमति देने वाले नियम बनाकर अपने प्रत्यायोजित अधिकार का अतिक्रमण नहीं कर सकता। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि राज्य नियम बना सकता है, लेकिन यह केन्द्रीय नियमों के प्रतिकूल नहीं होना चाहिए।
पृष्ठभूमि
मामले में राजस्थान द्वारा 2014 में पेश किए गए नियम 17 के उप-नियम (20) को चुनौती दी गई थी, जिसके तहत राज्य कर अधिकारियों को धोखाधड़ी, गलत बयानी या कानूनी उल्लंघन के माध्यम से प्राप्त किए गए फॉर्म सी को रद्द करने की अनुमति दी गई थी।
प्रतिवादी ने सीएसटी अधिनियम की धारा 8(1) के तहत कम कर दर का दावा करने के लिए फॉर्म सी का उपयोग करके दो फर्मों को माल बेचा। जांच करने पर, फर्में फर्जी पाई गईं, जिसके कारण फॉर्म रद्द कर दिए गए और प्रतिवादी के लिए कर देयता बढ़ गई।
राजस्थान हाईकोर्ट ने नियम को सीएसटी अधिनियम के विपरीत बताते हुए खारिज कर दिया, जिसके बाद राज्य ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की।
निर्णय
हाईकोर्ट के निर्णय की पुष्टि करते हुए जस्टिस ओका द्वारा लिखित निर्णय में इस बात पर जोर दिया गया कि केवल केंद्र सरकार के पास ही फॉर्म सी के लिए शर्तें निर्धारित करने की शक्ति है, और चूंकि केंद्रीय नियम निरस्तीकरण की अनुमति नहीं देते हैं, इसलिए राज्य केंद्रीय ढांचे को दरकिनार करते हुए ऐसा प्रावधान नहीं ला सकता है।
कोर्ट ने कहा,
“केंद्रीय पंजीकरण नियम किसी भी प्राधिकरण को फॉर्म सी में घोषणा को निरस्त करने की शक्ति नहीं देते हैं। इसलिए, यदि राज्य सरकार केंद्रीय पंजीकरण नियमों में दिए गए फॉर्म सी में घोषणा को निरस्त करने के लिए नियम बनाकर धारा 13 की उपधारा (3) के तहत नियम बनाने की शक्ति का प्रयोग करती है, तो राज्य के नियम केंद्रीय पंजीकरण अधिनियम की धारा 13(1)(डी) के तहत शक्ति का प्रयोग करते हुए केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए केंद्रीय पंजीकरण नियमों के साथ असंगत होंगे। राज्य सरकार धारा 13(3) के तहत शक्ति का प्रयोग करते हुए ऐसे नियम नहीं बना सकती जो केंद्रीय सरकार द्वारा सीएसटी अधिनियम की धारा 13(1) के तहत शक्तियों का प्रयोग करते हुए बनाए गए नियमों के साथ असंगत होंगे।”
न्यायालय ने कहा कि केवल "केन्द्र सरकार के पास घोषणा का प्रारूप निर्धारित करने तथा किसी घोषणा में शामिल किए जाने वाले विवरण निर्धारित करने का नियम बनाने का अधिकार है", न कि राज्य सरकार के पास।
उपर्युक्त को देखते हुए न्यायालय ने अपील खारिज कर दी।