राज्य के अंगों, विशेष रूप से पर्यावरण निकायों को NGT के निर्देशों का समय पर अनुपालन सुनिश्चित करना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

Update: 2024-08-23 05:42 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि प्रत्येक राज्य के अंग, विशेष रूप से पर्यावरण संरक्षण से जुड़े अंग जैसे कि छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण बोर्ड (CECB) को राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के निर्देशों का समय पर अनुपालन सुनिश्चित करना चाहिए।

कोर्ट ने कहा,

“हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि प्रत्येक राज्य के अंग और विशेष रूप से पर्यावरण संरक्षण से जुड़े सरकार के अंग जैसे कि CECB को NGT के निर्देशों का समय पर अनुपालन सुनिश्चित करने में और अधिक सतर्क रहना चाहिए। यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि ऐसे निर्देश पारिस्थितिकी और पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण के उद्देश्य से हैं और इन्हें सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए।”

जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने NGT के आदेशों का अनुपालन न करने के लिए CECB के अध्यक्ष और सदस्य सचिव के खिलाफ आपराधिक शिकायत शुरू करने का NGT का आदेश रद्द करते हुए यह टिप्पणी की।

मामले का विवरण

NGT ने अपने आदेश में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को CECB के अध्यक्ष सुब्रत साहू और सदस्य सचिव पी. अरुण प्रसाद के खिलाफ राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम, 2010 की धारा 26 के तहत मजिस्ट्रेट की अदालत में आपराधिक शिकायत दर्ज करने का निर्देश दिया था।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने 5 फरवरी, 2014 को जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 और वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के तहत 17 श्रेणियों के अत्यधिक प्रदूषणकारी उद्योगों के लिए निर्देश जारी किए। इन निर्देशों में इन उद्योगों के लिए ऑनलाइन सतत उत्सर्जन निगरानी प्रणाली (OCEMS) और ऑनलाइन अपशिष्ट गुणवत्ता निगरानी प्रणाली (OEQMS) की स्थापना अनिवार्य की गई। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को इन उद्योगों में निरंतर अपशिष्ट और उत्सर्जन निगरानी उपकरणों जैसी प्रदूषण नियंत्रण सुविधाओं की स्थापना और नियमित संचालन सुनिश्चित करना आवश्यक था।

22 फरवरी, 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण सुरक्षा समिति बनाम भारत संघ के मामले में अपशिष्ट उपचार संयंत्र, सामान्य अपशिष्ट उपचार संयंत्र और सीवेज उपचार संयंत्रों की स्थापना के लिए कई निर्देश जारी किए। न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि प्रभावी कार्यान्वयन के लिए मजबूत तंत्र की आवश्यकता है और प्रत्येक राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और पर्यावरण विभाग को जिम्मेदारियाँ सौंपी। NGT को गैर-कार्यान्वयन के बारे में शिकायतों की निगरानी करने का काम सौंपा गया।

न्यायालय ने व्यक्तियों और संगठनों को इन निर्देशों के प्रवर्तन के लिए NGT से संपर्क करने की अनुमति दी। इसके अतिरिक्त, न्यायालय ने उत्सर्जन के स्तर को सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करने के लिए ऑनलाइन, वास्तविक समय निगरानी प्रणाली की शुरूआत को अनिवार्य किया, सभी राज्य सरकारों को छह महीने के भीतर इन उपायों को अपनाने का निर्देश दिया।

रमेश अग्रवाल नामक व्यक्ति ने गैर-अनुपालन की शिकायत के साथ NGT से संपर्क किया। NGT ने 3 फरवरी, 2023 को मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ राज्यों में अनुपालन उपायों का मूल्यांकन किया और पाया कि छत्तीसगढ़ में 167 उद्योगों में से केवल 84 तक ही ऐसे लिंक का उपयोग करके पहुंचा जा सकता है, जिसके लिए उपयोगकर्ता आईडी और पासवर्ड की आवश्यकता होती है। आम जनता सीधे ऑनलाइन डेटा तक नहीं पहुंच पा रही थी और अधिकांश उद्योगों के लिए ऐतिहासिक डेटा उपलब्ध नहीं था। NGT ने छत्तीसगढ़ राज्य को 60 दिनों के भीतर अपनी वेबसाइट को और अधिक उपयोगकर्ता-अनुकूल बनाने का निर्देश दिया।

CECB ने NGT के आदेश का पालन करने के लिए समय बढ़ाने की मांग करते हुए आवेदन दायर किया। CECB ने इंटरनेट ऑफ थिंग्स डिवाइस की खरीद और उनके वार्षिक रखरखाव के लिए नए टेंडर जारी करने सहित उठाए गए कदमों का विस्तृत विवरण दिया। CECB ने वास्तविक समय के डेटा अधिग्रहण को अधिक कुशल और सुलभ बनाने के लिए अतिरिक्त 12 महीने मांगे।

NGT ने 21 अगस्त, 2023 को CECB के आवेदन पर कड़ी असहमति व्यक्त की। NGT ने माना कि CECB ने लगभग दो वर्षों से मामले के लंबित रहने के बावजूद दक्षता और क्षमता की गंभीर कमी दिखाई। NGT ने निर्देश दिया कि NGT Act की धारा 26 के तहत अध्यक्ष और सदस्य सचिव के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू की जाए।

इस आदेश से व्यथित होकर CECB ने अध्यक्ष और सदस्य सचिव के साथ मिलकर सुप्रीम कोर्ट के समक्ष वर्तमान अपील दायर की।

सुप्रीम कोर्ट में 10 जनवरी, 2024 को दायर अनुपालन हलफनामे में CECB ने कहा कि उसने नवंबर 2023 तक 128 उद्योगों को सीधे पहुंच लिंक प्रदान किए हैं। शेष उद्योगों को नोटिस जारी किए गए और दिसंबर 2023 तक CECB की वेबसाइट पर सभी 167 उद्योगों के लिए सीधे पहुंच लिंक उपलब्ध कराए गए।

NGT के निर्देश को लागू करने में CECB की ओर से की गई चूक को गंभीरता से लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आपराधिक कार्यवाही शुरू करने के NGT के निर्देश में हस्तक्षेप करने का फैसला किया, इस बात पर जोर देते हुए कि NGT Act की धारा 26 का सावधानी और सतर्कता के साथ प्रयोग किया जाना चाहिए। यह देखते हुए कि CECB ने NGT के निर्देशों का पर्याप्त अनुपालन किया है, कोर्ट ने विवादित आदेश रद्द करने का फैसला किया।

न्यायालय ने अपीलों को स्वीकार करते हुए टिप्पणी की,

“धारा 26 में सही रूप से किसी भी व्यक्ति के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने का प्रावधान है, जो NGT के आदेश, अवार्ड और निर्णय का पालन करने में विफल रहता है, लेकिन इस शक्ति का प्रयोग सावधानी और सतर्कता के साथ किया जाना चाहिए। इस मामले में दिए गए तथ्यों में CECB की ओर से की गई देरी ऐसे निर्देशों का पालन करने में उसकी ओर से जानबूझकर की गई लापरवाही या कर्तव्य की घोर उपेक्षा नहीं है। पर्याप्त अनुपालन प्राप्त होने के बाद CECB ने अपनी वेबसाइट को और अधिक उपयोगकर्ता के अनुकूल बनाने के लिए केवल कुछ और समय मांगा है।”

केस टाइटल- पी अरुण प्रसाद और अन्य बनाम भारत संघ और अन्य।

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