Sec. 138 NI Act | चेक बाउंस मामलों में आरोपियों को प्रॉबेशन ऑफ ऑफेंडर्स एक्ट का लाभ मिल सकता है: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (25 सितम्बर) को फैसला दिया कि नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881 की धारा 138 (चेक बाउंस मामलों) में दोषी ठहराए गए आरोपियों को प्रोबेशन ऑफ ऑफेंडर्स एक्ट, 1958 का लाभ मिल सकता है।
कोर्ट ने कहा कि चेक बाउंस मामले समझौते (compounding) से खत्म हो सकते हैं, और अगर समझौता न हो तो भी आरोपी प्रोबेशन का लाभ पाने के हकदार हैं।
जस्टिस मनमोहन और एन.वी. अंजारिया की बेंच ने कहा कि पक्षकार आपसी समझौते से मामला निपटा सकते हैं। अगर शिकायतकर्ता केवल चेक की राशि से ज्यादा रकम या पूरा कर्ज वसूलना चाहता है, तो मजिस्ट्रेट आरोपी को दोष स्वीकार करने की सलाह दे सकता है और फिर CrPC/BNSS की धाराओं के तहत प्रोबेशन ऑफ ऑफेंडर्स एक्ट का लाभ दे सकता है।
यह निर्णय जस्टिस मनमोहन ने लिखा और इसमें केरल हाईकोर्ट के 2009 के फैसले (M.V. Nalinakshan बनाम M. Rameshan) को खारिज कर दिया गया, जिसमें चेक बाउंस मामलों में प्रोबेशन का लाभ देने से इंकार किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि चेक बाउंस के मामले अक्सर व्यावसायिक असफलता या अस्थायी आर्थिक कठिनाइयों से जुड़े होते हैं। इसलिए इसमें दंडात्मक के बजाय सुधारात्मक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए और प्रोबेशन का लाभ देने पर कोई रोक नहीं है।