सुप्रीम कोर्ट ने SCBA मल्टी-स्टेट को-ऑपरेटिव ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी के अंतरिम चेयरमैन पर हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने से किया इनकार

Update: 2024-09-06 13:05 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) मल्टी-स्टेट को-ऑपरेटिव ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी के चेयरमैन सतीश पांडे की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार किया, जिसमें पांडे और निदेशक मंडल के बीच चल रहे आंतरिक संघर्ष के बीच अंतरिम चेयरमैन नियुक्त करने के दिल्ली कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें सीनियर एडवोकेट डॉ. एस मुरलीधर की देखरेख में ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी के लिए अंतरिम चेयरमैन नियुक्त करने का निर्देश दिया गया।

दिल्ली हाईकोर्ट ने 29 अगस्त को SCBA मल्टी-स्टेट को-ऑपरेटिव (SCBA MSC) ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी द्वारा दायर रिट याचिका स्वीकार की, जिसमें सहकारी समितियों के केंद्रीय रजिस्ट्रार (CRCS) को सोसाइटी के चेयरमैन पद के लिए निदेशक मंडल में से फिर से चुनाव कराने तथा याचिकाकर्ता के खिलाफ जानबूझकर गलत आचरण करने तथा सोसाइटी के अन्य निदेशकों के खिलाफ आपराधिक बल का प्रयोग करने के लिए जांच करने के निर्देश देने की मांग की गई।

एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन तथा जस्टिस तुषार राव गेडेला की पीठ ने निम्नलिखित आदेश दिए:

(1) CRCS याचिकाकर्ता के खिलाफ सोसाइटी द्वारा 3 जून तथा 27 जून को प्रस्तुत किए गए अभ्यावेदनों पर शीघ्र निर्णय ले।

(2) डॉ. एस. मुरलीधर को सोसाइटी की बोर्ड बैठकों का पर्यवेक्षक नियुक्त किया जाए।

(3) डॉ. मुरलीधर की देखरेख में अंतरिम चेयरमैन की नियुक्ति की जाए।

पांडे की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट गोपाल शंकरनारायणन ने दलील दी कि यदि हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि पुनर्निर्वाचन का प्रश्न कानून के अनुसार तय किया जाएगा तो अंतरिम चेयरमैन की नियुक्ति अनुचित होगी, क्योंकि पांडे को न तो उनके पद से हटाया गया है और न ही निलंबित किया गया।

"अंतरिम चेयरमैन का प्रश्न कहां है? मुझे निलंबित नहीं किया गया, मुझे हटाया नहीं गया।"

इस मोड़ पर सीजेआई ने कहा,

"आम सभा के विचारों की जांच की जाए।"

सीनियर एडवोकेट ने दलील दी कि चेयरमैन को केवल आम सभा द्वारा पारित प्रस्ताव के अनुसार ही आधिकारिक रूप से हटाया जा सकता है, न कि निदेशक मंडल/कार्यकारी निकाय द्वारा। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि अंतरिम चेयरमैन की नियुक्ति के लिए हाईकोर्ट का निर्देश उसके समक्ष दायर रिट याचिका के दायरे से बाहर है।

सीजेआई ने कहा कि यह मामला अनुच्छेद 136 के तहत हस्तक्षेप का मामला नहीं है।

इसके बाद शंकरनारायणन ने इस मामले को और आगे नहीं बढ़ाने की इच्छा जताई।

ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी की ओर से पेश वकील ने न्यायालय को बताया कि मई में कार्यकारी निकाय ने पांडे के खिलाफ 12:1 बहुमत से अविश्वास प्रस्ताव पारित किया था।

सुनवाई के बाद निदेशक मंडल द्वारा संचार प्रसारित किया गया, जिसमें कहा गया कि अंतरिम चेयरमैन का चुनाव कल 7 सितंबर को डॉ. मुरलीधर द्वारा कराया जाएगा। इसमें यह भी कहा गया कि पांडे के सभी पिछले एकल कार्य अमान्य माने जाएंगे।

मामले पृष्ठभूमि

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 16 जनवरी के दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर भी सुनवाई की, जिसमें SCBA मल्टी-स्टेट कोऑपरेटिव ग्रुप-हाउसिंग सोसाइटी के अयोग्य सदस्यों को हाउसिंग सोसाइटी चुनाव लड़ने की अनुमति दी गई थी।

17 जनवरी को न्यायालय ने यह मानते हुए चुनाव पर रोक लगाने से इनकार किया कि चुनाव अगले दिन यानी 18 जनवरी को होने थे और ऐसे समय में इसमें हस्तक्षेप नहीं किया जाना चाहिए।

20 जनवरी को निदेशक मंडल द्वारा 8:7 के बहुमत से पांडे को चेयरमैन नियुक्त किया गया।

चुनावों के अनुसरण में बहु-राज्य सहकारी समिति अधिनियम, 2002 (MSCS Act) की धारा 84 के तहत सुप्रीम कोर्ट के आदेश द्वारा नियुक्त मध्यस्थ ने 18 मई को अयोग्य होने के आधार पर 4 में से 2 बोर्ड सदस्यों को अयोग्य घोषित कर दिया। इससे निदेशक मंडल की कुल संख्या 15 से घटकर 13 हो गई।

केस टाइटल- सतीश पांडे बनाम सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी लिमिटेड और अन्य।

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