घरेलू हिंसा मामले हाईकोर्ट में रद्द हो सकते हैं: सुप्रीम कोर्ट ने दी CrPC की धारा 482/BNSS की 528 के तहत मंज़ूरी

Update: 2025-05-19 10:53 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (19 मई) को फैसला सुनाया कि घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 की धारा 12 के तहत दर्ज शिकायतों को हाईकोर्ट CrPC की धारा 482 CrPC (BNSS की धारा 528) के तहत रद्द कर सकता है।

जस्टिस ए.एस. ओक और जस्टिस उज्जल भुयान की खंडपीठ ने कहा कि इस शक्ति का प्रयोग बहुत सावधानी और विवेक से किया जाना चाहिए, क्योंकि घरेलू हिंसा अधिनियम एक सामाजिक कल्याणकारी कानून है।

कोर्ट ने कहा,

"सिर्फ तभी हस्तक्षेप करें जब कोई गंभीर अन्याय या कानूनी गलती हो।"

जस्टिस ओक ने यह भी माना कि वह 2016 में बॉम्बे हाईकोर्ट के उस फैसले का हिस्सा थे, जिसमें कहा गया कि DV Act की कार्यवाही CrPC की धारा 482 में नहीं रद्द की जा सकती।

हालांकि, बाद में उसी हाईकोर्ट की फुल बेंच ने इसे गलत बताया।

जस्टिस ओक ने कहा,

"जजों के लिए भी सीखने की प्रक्रिया लगातार चलती रहती है। हम अपनी गलतियों को सुधारने के लिए बाध्य हैं।”

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