पतंजलि मामला: केंद्र सरकार ने राज्यों से आयुर्वेदिक दवाओं के विज्ञापनों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने के लिए लिखे पत्र का बचाव किया, तकनीकी सलाहकार बोर्ड की सिफारिश का दिया हवाला

Update: 2024-05-07 06:38 GMT

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपने उस पत्र का बचाव किया। उक्त पत्र में राज्य/केंद्रशासित प्रदेश लाइसेंसिंग अधिकारियों को औषधि और कॉस्मेटिक नियम, 1945 (1945 नियम) के नियम 170 के तहत आयुर्वेदिक और आयुष उत्पादों से संबंधित विज्ञापनों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने के लिए कहा गया। भ्रामक विज्ञापनों के प्रकाशन को लेकर पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ अवमानना मामले में यह कदम उठाया गया।

आयुष मंत्रालय के संयुक्त सचिव द्वारा दायर हलफनामे के अनुसार, 25 मई, 2023 को आयुर्वेदिक, सिद्ध और यूनानी औषधि तकनीकी सलाहकार बोर्ड (ASUDTAB) द्वारा की गई सिफारिश के मद्देनजर पत्र जारी किया गया था कि नियम 170 को लागू किया जाना चाहिए।

संदर्भ के लिए, 1945 के नियमों का नियम 170 लाइसेंसिंग अधिकारियों की मंजूरी के बिना आयुर्वेदिक, सिद्ध या यूनानी दवाओं के विज्ञापनों पर रोक लगाता है। विचाराधीन पत्र केंद्र द्वारा 29 अगस्त, 2023 को जारी किया गया था।

केंद्र ने कहा कि यह पत्र इसलिए जारी किया गया, क्योंकि प्रावधान को हटाने की अंतिम अधिसूचना में समय लगेगा।

केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में कहा,

“यह सम्मानपूर्वक प्रस्तुत किया गया कि चूंकि अंतिम राजपत्र अधिसूचना की प्रक्रिया में और समय लगेगा, विभिन्न राज्य / केंद्रशासित प्रदेश एसएलए के बीच भ्रम से बचने और परिहार्य मुकदमों को रोकने के लिए आयुष मंत्रालय ने पत्र नंबर टी- 13011/1/2022-डीसीसी-भाग (2) दिनांक 29.08.2023 के माध्यम से सभी राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों के लाइसेंसिंग अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे औषधि एवं प्रसाधन सामग्री नियम, 1945 के नियम 170 के तहत कोई कार्रवाई न करें, क्योंकि अंतिम अधिसूचना प्रक्रियाधीन है।''

इससे पहले न्यायालय ने केंद्र से नियम 170 को हटाने के फैसले का "क्या महत्व है" पर जवाब देने के लिए कहा था। जवाब में एडिशनल सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने प्रस्तुत किया कि वह इस संबंध में निर्देश लेंगे और उन्हें स्पष्ट करेंगे।

अपने हलफनामे में केंद्र सरकार ने विभिन्न हाईकोर्ट के समक्ष कई कार्यवाही का हवाला दिया, जिसमें इस नियम को चुनौती दी गई और अंतरिम राहत दी गई।

आगे कहा गया,

“16. यह सम्मानपूर्वक प्रस्तुत किया गया कि 25.05.2023 को आयोजित अपनी आखिरी बैठक में ड्रग्स और कॉस्मेटिक्स नियम, 1945 के नियम 170 के मामले पर पुनर्विचार करने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट के उपरोक्त निर्देश का पालन करते हुए ASUDTAB ने डी एंड सी नियम, 1945 में उल्लिखित नियम 170 और इसके संबंधित प्रपत्र में चूक के लिए अंतिम अधिसूचना के साथ आगे बढ़ने की सिफारिश की।

केस टाइटल: इंडियन मेडिकल एसोसिएशन बनाम भारत संघ | डब्ल्यू.पी.(सी) नंबर 645/2022

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