वाहन के रजिस्टर्ड राज्य में होने पर प्राधिकरण शुल्क का भुगतान न करना उसके राष्ट्रीय परमिट को अमान्य नहीं करेगा: सुप्रीम कोर्ट

Update: 2025-02-08 05:40 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि वैध राष्ट्रीय परमिट मौजूद है तो बीमाकर्ता केवल राज्य परमिट के नवीनीकरण न होने के कारण दावों को अस्वीकार नहीं कर सकते। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि किसी वाहन में उसके रजिस्टर्ड राज्य में आग लग जाती है तो राज्य परमिट के लिए प्राधिकरण शुल्क का भुगतान न करने से दावा अमान्य नहीं होगा।

कोर्ट ने कहा कि राज्य परमिट के नवीनीकरण के लिए प्राधिकरण शुल्क केवल तभी आवश्यक है, जब वाहन को राज्य से बाहर ले जाया जाता है। चूंकि वाहन में आग उसके रजिस्टर्ड राज्य (बिहार) में लगी थी, इसलिए बीमा कंपनी राष्ट्रीय परमिट के अस्तित्व में होने पर राज्य परमिट के नवीनीकरण न होने का हवाला देकर दावे को अस्वीकार नहीं कर सकती।

कोर्ट ने बीमा कंपनी के इस तर्क को खारिज कर दिया कि राज्य परमिट के लिए प्राधिकरण शुल्क का भुगतान न करने से बीमा दावों को सुरक्षित करने के लिए मौजूदा राष्ट्रीय परमिट अमान्य हो जाता है। इसके बजाय इसने कहा कि राष्ट्रीय परमिट तब भी वैध रहता है, जब प्राधिकरण शुल्क का भुगतान नहीं किया जाता है, बशर्ते वाहन का उपयोग उसके गृह राज्य में किया जाता हो।

जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और जस्टिस एस.सी. शर्मा की खंडपीठ ने उस मामले की सुनवाई की, जिसमें अपीलकर्ता के बिहार में रजिस्टर्ड ट्रक के लिए बीमा दावे को बीमा कंपनी ने इस आधार पर अस्वीकार किया कि ट्रक का राष्ट्रीय परमिट समाप्त हो गया और उसका नवीनीकरण नहीं हुआ।

अपीलकर्ता ने राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, बिहार, पटना के समक्ष शिकायत दर्ज कराई, जिसने प्रतिवादी को अपीलकर्ता के दावों का निपटान करने का निर्देश दिया।

एक अपील में राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) ने राज्य उपभोक्ता फोरम के फैसले को पलट दिया, जिसमें कहा गया कि किसी भी वैध परमिट की अनुपस्थिति में बीमा दावे की अनुमति नहीं दी जा सकती।

इसके बाद अपीलकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की।

सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपीलकर्ता ने तर्क दिया कि अखिल भारतीय परमिट (राष्ट्रीय परमिट) 14.10.2012 से 13.10.2017 तक की वैधता अवधि के साथ जारी किया गया। बिहार राज्य के लिए परमिट 13.10.2012 से 13.10.2013 तक प्रभावी था, जिसका अर्थ है कि जिस दिन 08.06.2014 को ट्रक में आग लगी, उस दिन वैध राष्ट्रीय परमिट अस्तित्व में था। अपीलकर्ता के दावे का विरोध करते हुए बीमा कंपनी ने तर्क दिया कि 13.10.2012 से 13.10.2017 तक की अवधि के लिए राष्ट्रीय परमिट शुल्क का भुगतान किया गया, जबकि राज्य परमिट के लिए प्राधिकरण शुल्क का भुगतान 14.10.2013 से आगे नहीं किया गया। इसलिए उन्होंने तर्क दिया कि राज्य परमिट के नवीनीकरण के बिना राष्ट्रीय परमिट को वैध नहीं माना जा सकता।

पक्षकारों की विस्तृत सुनवाई के बाद जस्टिस एस.सी. शर्मा द्वारा लिखित निर्णय में कहा गया कि चूंकि अपीलकर्ता के ट्रक का राष्ट्रीय परमिट वैध था, इसलिए बीमा कंपनी केवल इसलिए दावे को अस्वीकार नहीं कर सकती, क्योंकि राज्य परमिट के लिए प्राधिकरण शुल्क का भुगतान नहीं किया गया था।

यह देखते हुए कि घटना वाहन के रजिस्टर्ड राज्य में हुई थी और बीमा अवधि के दौरान वैध राष्ट्रीय परमिट था, न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि राज्य परमिट के लिए अद्यतन प्राधिकरण शुल्क की कमी राष्ट्रीय परमिट को अमान्य नहीं करती है।

अदालत ने कहा,

“इस न्यायालय ने रिकॉर्ड में दर्ज परमिट का ध्यानपूर्वक अध्ययन किया। राष्ट्रीय परमिट निश्चित रूप से 13.10.2017 तक वैध है। प्राधिकरण शुल्क का भुगतान केवल तभी किया जाना आवश्यक था, जब ट्रक बिहार राज्य से बाहर जा रहा था, क्योंकि यह बिहार राज्य में रजिस्टर्ड था। 08.06.2014 को शॉर्ट-सर्किट के कारण ट्रक में बिहार राज्य में ही आग लग गई। इसलिए प्रतिवादी कंपनी इस तरह के तुच्छ आधार पर दावे को अस्वीकार नहीं कर सकती थी। विचाराधीन परमिट बिहार में सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी किया गया। इसलिए जब ट्रक बिहार राज्य में इस्तेमाल किया जा रहा था तो प्राधिकरण शुल्क का भुगतान करने की कोई आवश्यकता नहीं थी। राष्ट्रीय परमिट के नियमों और शर्तों के अनुसार, प्राधिकरण शुल्क का भुगतान केवल तभी किया जाना था जब ट्रक बिहार राज्य से बाहर जा रहा था।”

अदालत ने आगे कहा,

इस प्रकार, इस न्यायालय की सुविचारित राय में अपीलकर्ता निश्चित रूप से राज्य आयोग द्वारा आयोजित बीमा दावे के लिए हकदार था। इसलिए राष्ट्रीय आयोग द्वारा पारित आदेश, दिनांक 19.08.2020 को रद्द करने योग्य है। तदनुसार इसे रद्द किया जाता है।”

तदनुसार, अपील को अनुमति दी गई।

केस टाइटल: बिनोद कुमार सिंह बनाम नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड।

Tags:    

Similar News