'उत्पादन कब माना जाएगा'? सुप्रीम कोर्ट ने बताए महत्वपूर्ण मानदंड

Update: 2025-05-19 06:20 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में दिए गए एक फैसले में स्पष्ट किया कि किसी प्रक्रिया को 'निर्माण' (Manufacture) माना जाए या नहीं, इसका निर्धारण किन आधारों पर किया जाना चाहिए।

पूर्ववर्ती कई फैसलों का हवाला देते हुए कोर्ट ने 'निर्माण' की प्रक्रिया को समझाने के लिए निम्नलिखित मुख्य परीक्षण बताए:

1. किसी वस्तु पर कोई प्रक्रिया या प्रक्रियाओं की श्रृंखला होनी चाहिए।

2. उस प्रक्रिया या प्रक्रियाओं की श्रृंखला के माध्यम से मूल वस्तु या कच्चे माल में परिवर्तन होता है।

3. उस प्रक्रिया के अंत में एक नई वस्तु सामने आती है।

4. यह नई वस्तु नाम, स्वरूप या उपयोग में मूल वस्तु से स्पष्ट रूप से भिन्न होनी चाहिए और अब उसे मूल वस्तु नहीं कहा जा सकता।

5. यह वस्तु व्यापार में भी एक अलग पहचान रखती हो और मूल वस्तु से अलग मानी जाती हो।

जस्टिस अभय एस. ओक और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की खंडपीठ ने यह टिप्पणी तब की जब यह तय किया जा रहा था कि क्रूड डिगम्ड सोयाबीन ऑयल एक कृषि उत्पाद है या निर्मित उत्पाद। यदि इसे कृषि उत्पाद माना जाए तो इसके आयात पर लाभ मिल सकता है।

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि क्रूड डिगम्ड सोयाबीन ऑयल कृषि उत्पाद नहीं है, क्योंकि यह केवल सोयाबीन का प्रसंस्कृत रूप नहीं है बल्कि एक नई, व्यापार योग्य वस्तु है जिसकी अलग पहचान है।

कोर्ट ने कहा,

“यह देखना आवश्यक नहीं है कि अंतिम उत्पाद उपयोग योग्य (Consumable) है या नहीं। हाईकोर्ट ने यह गलत समझ लिया कि चूंकि क्रूड डिगम्ड सोयाबीन ऑयल को और रिफाइन नहीं किया गया। इसलिए वह उपयोग की वस्तु नहीं है, इस कारण उसकी अलग पहचान नहीं है। यह 'निर्माण' की परिभाषा नहीं है। इसमें कोई संदेह नहीं कि सोयाबीन कृषि उत्पाद है, लेकिन हाईकोर्ट ने असिस्टेंट कमिश्नर की राय को मानते हुए यह भी कहा कि क्रूड डिगम्ड सोयाबीन ऑयल भी कृषि उत्पाद है। जबकि वास्तव में यह सोयाबीन से भिन्न है और वही नहीं कहा जा सकता।”

केस टाइटल: Noble Resources and Trading India Pvt. Ltd. (पूर्व में एंडएग्रो सर्विसेज प्रा. लि.) बनाम भारत संघ व अन्य

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