बलात्कार मामले में अग्रिम जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे मलयालम एक्टर सिद्दीकी
मलयालम एक्टर सिद्दीकी ने महिला द्वारा लगाए गए आरोपों के आधार पर अपने खिलाफ दर्ज बलात्कार के मामले में अग्रिम जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
केरल हाईकोर्ट ने 24 सितंबर को अग्रिम जमानत की मांग करने वाली उनकी याचिका खारिज की थी। कोर्ट ने कहा था कि रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री से पता चलता है कि अपराध में सिद्दीकी की प्रथम दृष्टया संलिप्तता है।
हाईकोर्ट के उक्त आदेश को चुनौती देते हुए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की। राज्य और पीड़िता ने कैविएट दायर किए।
मलयालम सिनेमा में महिलाओं के शोषण के बारे में जस्टिस हेमा समिति की रिपोर्ट के प्रकाशन के बाद महिला ने सार्वजनिक आरोप लगाया कि सिद्दीकी ने 2016 में उसका यौन शोषण किया, जब वह फिल्म उद्योग में उसे अवसर देने के बाद एक होटल के कमरे में उससे मिली थी। अपने सार्वजनिक आरोपों के बाद उसने एफआईआर दर्ज कराई।
केरल हाईकोर्ट ने सिद्दीकी का तर्क खारिज कर दिया कि एफआईआर दर्ज करने में देरी घातक थी।
हाईकोर्ट ने कहा,
"पीड़ित पक्ष द्वारा दिया गया उपरोक्त स्पष्टीकरण उचित है या नहीं, इसका मूल्यांकन और निर्णय पूर्ण परीक्षण के बाद ही किया जाएगा। फिर भी यह तर्क कि उपरोक्त देरी से अभियोजन पक्ष का पूरा मामला खराब हो जाता है, शिकायत रद्द करने का आधार नहीं है, खासकर जमानत आवेदन पर विचार करते समय। यौन शोषण और हमले के पीड़ितों को मनोवैज्ञानिक, भावनात्मक और सामाजिक बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है, जो मामले की रिपोर्ट करने में देरी को बढ़ावा देते हैं, जिसे अनिवार्य रूप से आघात के संदर्भ में समझा जाना चाहिए।"
हाईकोर्ट ने यह भी माना कि सिद्दीकी के खिलाफ आरोपित कृत्य "बलात्कार" की विस्तारित परिभाषा के दायरे में आएंगे।