शैक्षणिक उद्देश्य से हेमा समिति के समक्ष गई: मलयालम एक्ट्रेस ने FIR दर्ज करने के हाईकोर्ट के निर्देश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया
मलयालम सिनेमा में महिलाओं के शोषण की जांच के लिए गठित जस्टिस हेमा समिति के समक्ष गवाही देने वाली मलयालम फिल्म एक्ट्रेस ने समिति द्वारा दर्ज किए गए बयानों के आधार पर FIR दर्ज करने के लिए केरल हाईकोर्ट द्वारा जारी निर्देश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
एक्ट्रेस ने अपनी विशेष अनुमति याचिका में कहा कि उसने हेमा समिति को पूरी तरह से शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए बयान दिए, न कि किसी आपराधिक कार्यवाही को शुरू करने के लिए। उसने कहा कि उसने स्वेच्छा से यह समझकर बयान दिया कि यह केवल समिति के शैक्षणिक या सलाहकार उद्देश्यों के लिए था। किसी कानूनी या आपराधिक कार्रवाई को शुरू करने के लिए नहीं था।
उसने प्रस्तुत किया कि उसके द्वारा दिए गए कुछ बयान अफवाहों पर आधारित आरोप थे, जिन्हें बाद में प्रभावित पक्षों ने अस्वीकार कर दिया।
याचिकाकर्ता ने यह भी बताया कि जस्टिस हेमा समिति के पास कोई कानूनी अधिकार नहीं है, क्योंकि इसे कार्यकारी अधिसूचना के आधार पर बनाया गया, न कि जांच आयोग अधिनियम 1952 के तहत। याचिकाकर्ता ने यह तर्क देकर हाईकोर्ट के निर्देश की वैधता पर सवाल उठाया कि न्यायालय जांच एजेंसी के अधिकार क्षेत्र में अतिक्रमण नहीं कर सकता।
उन्होंने तर्क दिया कि शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए उनके द्वारा दिए गए बयान को सूचना के रूप में नहीं माना जा सकता, जिससे आपराधिक जांच शुरू हो सकती है या FIR दर्ज हो सकती है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के निर्देश के खिलाफ निर्माता साजिमोन परायिल द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी किया। हाल ही में केरल राज्य महिला आयोग ने FIR दर्ज करने का समर्थन करते हुए मामले में हस्तक्षेप किया।