क्या मनोरंजन कर ऑनलाइन सिनेमा टिकट बुकिंग चार्ज पर लागू होता है? सुप्रीम कोर्ट तय करेगा

Update: 2024-07-24 05:21 GMT

सुप्रीम कोर्ट इस बात की जांच करने वाला है कि क्या ऑनलाइन टिकट बुकिंग शुल्क पर मनोरंजन कर (Entertainment Tax) लगाया जा सकता है।

इसका संबंध मद्रास हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेश से है, जिसमें कहा गया कि तमिलनाडु मनोरंजन कर अधिनियम, 1939 सिनेमा मालिक द्वारा प्रदान की जाने वाली इंटरनेट सेवा पर कर लगाने का प्रावधान नहीं कर सकता है।

वाणिज्य कर अधिकारी द्वारा इसके खिलाफ दायर एसएलपी की सुनवाई करते हुए जस्टिस बीवी नागरत्ना ने मौखिक रूप से टिप्पणी की कि यह अतिरिक्त शुल्क मनोरंजन के लिए नहीं है, बल्कि यह उन लोगों की सुविधा के लिए है, जो सिनेमा थिएटर तक जाने के बिना ऑनलाइन टिकट बुक कर सकते हैं। हालांकि जस्टिस नोंग्मीकापम कोटिस्वर सिंह की पीठ इस मामले पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं थी, लेकिन उसने आवश्यक आदेश पारित करने के लिए अगले सप्ताह सुनवाई करने का फैसला किया।

कहा गया,

“यह मनोरंजन के लिए नहीं है। मनोरंजन का मतलब है फिल्म देखना। ऐसा इसलिए है, जिससे आपको सिनेमा थिएटर तक जाने की जरूरत न पड़े और आप अपने घर बैठे टिकट बुक कर सकें। इसलिए आप प्रदान की गई सेवा के लिए अतिरिक्त भुगतान करते हैं। यदि आप अपने घर से टिकट खरीदना चाहते हैं तो आपको 10 या 20 किलोमीटर की यात्रा करने की आवश्यकता नहीं है। इसके लिए आपको 30 रुपये अतिरिक्त देने होंगे।"

आक्षेपित आदेश में हाईकोर्ट ने तर्क दिया कि ऐसे मनोरंजन से जुड़े किसी अन्य उद्देश्य के लिए किया गया भुगतान उक्त अधिनियम के तहत तभी कर योग्य होगा, जब व्यक्ति को प्रवेश के लिए शर्त के रूप में ऐसा भुगतान करना आवश्यक हो।

यह मानते हुए कि ऑनलाइन बुकिंग शुल्क या इंटरनेट हैंडलिंग शुल्क सिनेमा हॉल में प्रवेश के लिए अनिवार्य भुगतान नहीं हैं, न्यायालय ने कहा:

"यह सिनेमा हॉल मालिक द्वारा प्रदान की गई अतिरिक्त या अन्य सुविधा के लिए अतिरिक्त भुगतान है। 1939 के उक्त अधिनियम के बहुत बाद इंटरनेट के आगमन के साथ भले ही समय-समय पर संशोधन किया गया हो, उक्त अधिनियम सिनेमा मालिक द्वारा प्रदान की गई इंटरनेट की सेवा पर कर लगाने का प्रावधान नहीं कर सकता।"

इसने कहा कि मनोरंजन कर केवल टिकट की लागत पर लगाया जाने वाला कर है, जो किसी व्यक्ति को सिनेमा हॉल या थिएटर में प्रवेश पाने का अधिकार देता है।

“अधिनियम की धारा 3(7)(सी) के अंतर्गत आने वाली अनिवार्य आवश्यकता यह है कि किसी व्यक्ति को मनोरंजन में भाग लेने या उसमें भाग लेना जारी रखने के लिए एक शर्त के रूप में यह करना आवश्यक है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि ऑनलाइन आधार पर सिनेमा टिकट बुक करना सभी सिनेमा देखने वालों के लिए अनिवार्य शर्त नहीं है। यह न केवल वैकल्पिक है बल्कि सिनेमा हॉल मालिक के वेब पोर्टल पर सभी को प्रदान की जाने वाली एक अलग सुविधा है।”

केस टाइटल: वाणिज्यिक कर अधिकारी बनाम एजीएस सिनेमा प्राइवेट लिमिटेड, डायरी संख्या - 13928/2022

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