'अगर हमें अनियमितता मिली तो हम अपना फैसला पलट देंगे': सुप्रीम कोर्ट कल होने वाले राजस्थान सिविल जज एग्जाम के खिलाफ याचिका पर सुनवाई करेगा

Update: 2024-10-16 06:12 GMT

सुप्रीम कोर्ट कल यानी गुरुवार को होने वाले राजस्थान सिविल जज कैडर एग्जाम, 2024 के कथित "मनमाने और त्रुटिपूर्ण" मूल्यांकन को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करेगा।

याचिकाकर्ता के वकील ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष उल्लेख किया कि मामले की तत्काल सुनवाई की आवश्यकता है, क्योंकि न्यायिक सेवाओं के लिए साक्षात्कार आज ही शुरू होने वाले हैं।

उन्होंने कहा,

"इंटरव्यू आज कभी भी शुरू हो सकते हैं। हम आज इस मामले पर बहस कर सकते हैं।"

सीजेआई ने जवाब दिया कि कल यानी मंगलवार को जब इसी तरह का मामला बुलाया गया था तो कोई भी उपस्थित नहीं हुआ; हालांकि, पीठ ने इसे डिफ़ॉल्ट के रूप में खारिज करने से परहेज किया और मामले को कल (गुरुवार) के लिए टाल दिया।

मामले का उल्लेख करने वाले वकील ने स्पष्ट किया कि कल सूचीबद्ध याचिका किसी अन्य वकील द्वारा दायर की गई थी। वह किसी अन्य मामले का उल्लेख कर रही थी। उन्होंने आज ही सुनवाई का अनुरोध किया।

हालांकि, सीजेआई ने कहा कि दोनों मामलों पर कल विचार किया जाएगा। जब वकील ने बताया कि इंटरव्यू आज हो रहे हैं तो सीजेआई ने आश्वासन दिया, "अगर हमें कोई अनियमितता मिली तो हम इसे वापस ले लेंगे।"

पृष्ठभूमि: सिविल जज कैडर, 2024 के लिए भर्ती

राजस्थान हाईकोर्ट (भर्ती प्राधिकरण) ने राजस्थान न्यायिक सेवा नियम, 2010 के अनुपालन में सिविल जज कैडर में सीधी भर्ती के लिए 222 रिक्तियां खोली। चयन प्रक्रिया कठोर तीन-चरणीय प्रक्रिया का अनुसरण करती है: एक प्रारंभिक परीक्षा, एक मुख्य परीक्षा और एक मौखिक परीक्षा (इंटरव्यू)। 31 अगस्त और 1 सितंबर, 2024 को आयोजित मुख्य परीक्षा के लिए अर्हता प्राप्त करने वाले लगभग 3,000 उम्मीदवारों में से केवल 638 उम्मीदवार ही साक्षात्कार चरण तक पहुंचे।

याचिका के लिए आधार: मूल्यांकन में विसंगतियां और पारदर्शिता की कमी

अभ्यर्थियों का आरोप है कि 1 अक्टूबर, 2024 को मुख्य परीक्षा के परिणाम जारी होने के बाद उनके स्कोरकार्ड में विशेष रूप से अंग्रेजी निबंध पेपर में 0 से 15 के बीच बेवजह कम अंक दिखाए गए। यह अनियमित स्कोरिंग उनके अन्यथा मजबूत प्रदर्शन के विपरीत है, जिससे याचिकाकर्ता इंटरव्यू कट-ऑफ तक पहुंचने में असमर्थ हो गए। निबंध लेखन की व्यक्तिपरक प्रकृति और भाषा के पेपर के लिए किसी भी न्यूनतम योग्यता अंक की अनुपस्थिति को देखते हुए याचिकाकर्ता इस बात पर जोर देते हैं कि इस अपारदर्शी मूल्यांकन पद्धति ने मनमाने परिणाम दिए हैं, जिससे उनके मौलिक अधिकार और करियर प्रभावित हुए।

याचिकाकर्ता ने स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति द्वारा उनकी उत्तर पुस्तिकाओं का निष्पक्ष पुनर्मूल्यांकन सुनिश्चित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया। उनका तर्क है कि त्रुटिपूर्ण मूल्यांकन प्रक्रिया अनुच्छेद 14 में निहित समान अवसर के उनके संवैधानिक अधिकार को कमजोर करती है और राजस्थान की न्यायपालिका के लिए भर्ती में न्यायिक अखंडता को बनाए रखने के लिए एक पारदर्शी, निष्पक्ष प्रक्रिया आवश्यक है।

केस टाइटल: सोनल गुप्ता एवं अन्य बनाम रजिस्ट्रार जनरल राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर एवं अन्य | डायरी संख्या 47205/2024।

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