हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम | अदालत से प्रमाणित वसीयत को राज्य चुनौती नहीं दे सकता: सुप्रीम कोर्ट

Update: 2025-09-15 04:55 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में यह फैसला दिया कि यदि किसी हिंदू पुरुष ने वसीयत (Will) बनाई है, जो अदालत द्वारा वैध घोषित की जा चुकी है और जिसे प्रोबेट (Probate) भी मिल चुका है, तो राज्य सरकार हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 की धारा 29 के तहत एस्कीट (Escheat) के सिद्धांत का उपयोग नहीं कर सकती।

यह फैसला जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और जस्टिस एस.सी. शर्मा की खंडपीठ ने दिया। मामला खेतीड़ी (राजस्थान) के राजा बहादुर सरदार सिंह की वसीयत से जुड़ा है, जिनका निधन 1987 में हुआ था। वसीयत (दिनांक 30 अक्टूबर, 1985) के अनुसार, उनकी सारी संपत्ति “खेतीड़ी ट्रस्ट” नामक एक लोकहितकारी चैरिटेबल ट्रस्ट को दी जानी थी।

लेकिन 1987 से ही राजस्थान सरकार ने राजस्थान एस्कीट अधिनियम के तहत कार्रवाई कर पूरी संपत्ति पर कब्ज़ा कर रखा था। राज्य ने इस वसीयत को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी। परंतु 2023 में हाईकोर्ट की खंडपीठ (न्यायमूर्ति नजमी वज़ीरी और न्यायमूर्ति विकास महाजन) ने वसीयत को प्रामाणिक मानते हुए ट्रस्ट के पक्ष में निर्णय दिया और वसीयत के लाभार्थियों को प्रोबेट प्रदान किया।

राजस्थान सरकार ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। एएसजी एस.वी. राजू ने राज्य की ओर से दलील दी कि सरकार को इस मामले में पक्षकार बनने का अधिकार है। उन्होंने State of Rajasthan बनाम Lord Northbrook मामले का हवाला दिया, जिसमें उत्तराधिकारी/लाभार्थी न होने पर संपत्ति राज्य सरकार के पास चली गई थी।

वहीं, वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि राज्य सरकार को इस मामले में लोकस स्टैंडी (Locus Standi) नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने भी यही माना और कहा कि जब किसी वसीयत को अदालत द्वारा प्रोबेट मिल चुका है, तब राज्य सरकार को उसे चुनौती देने का अधिकार नहीं है।


  • यह मामला अंत्येष्टि उत्तराधिकार (Intestate Succession) का नहीं बल्कि वसीयतनामा उत्तराधिकार (Testamentary Succession) का है।
  • धारा 29 केवल उन मामलों में लागू होगी जब मृतक ने कोई वसीयत न बनाई हो और उसका कोई वैध उत्तराधिकारी न हो। तब संपत्ति राज्य सरकार के पास जाएगी।
  • अगर वसीयत अवैध है और गलती से प्रोबेट मिल गया है, तब भी राज्य सरकार उसे चुनौती नहीं दे सकती।
  • ऐसी स्थिति में केवल वही वैध उत्तराधिकारी (जिन्हें वसीयत न होने पर संपत्ति मिलती, यानी धारा 8 के तहत उत्तराधिकारी) ही भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 263 के तहत प्रोबेट रद्द कराने के लिए आवेदन कर सकते हैं।

अदालत ने स्पष्ट कहा:
"केवल अंत्येष्टि उत्तराधिकार की स्थिति में ही धारा 29 लागू होगी और संपत्ति राज्य सरकार को जाएगी। वर्तमान मामले में ऐसा नहीं है, क्योंकि वसीयत का प्रोबेट सक्षम अदालत ने पहले ही प्रदान कर दिया है। यह मामला वसीयतनामा उत्तराधिकार का है।"

Tags:    

Similar News