हेमंत सोरेन गिरफ्तारी के खिलाफ एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे, फैसला सुनाने में हाईकोर्ट की देरी का हवाला दिया
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपनी गिरफ्तारी के खिलाफ एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। नई याचिका में उन्होंने कहा है कि झारखंड हाईकोर्ट ने 28 फरवरी को बहस पूरी होने के बावजूद अभी तक उनकी याचिका पर फैसला नहीं सुनाया है। उल्लेखनीय है कि हेमंत सोरेन को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 31 जनवरी को गिरफ्तार किया था। जिसके बाद से वो हिरासत में हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी के खिलाफ दायर उनकी पिछली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था। दो फरवरी को दिए फैसले में शीर्ष अदालत ने उन्हें हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने को कहा था। सोरेन की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने बुधवार (24 अप्रैल) को तत्काल सुनवाई के लिए जस्टिस संजीव खन्ना के समक्ष नई याचिका का उल्लेख किया। सिब्बल ने कहा कि हाईकोर्ट की ओर से फैसला देने से इनकार करने के कारण सोरेन गतिरोध की स्थिति में हैं, वह कानूनी उपायों के लिए "न तो आगे बढ़ सकते हैं और न ही पीछे" जा सकते हैं।
सिब्बल ने कहा,
"हम (हाई) कोर्ट गए थे और कहा कि मैं आगे या पीछे नहीं जा सकता, कृपया कम से कम फैसला सुनाएं। जज ने कुछ नहीं कहा। वह आदमी अंदर रहेगा और चुनाव खत्म हो जाएंगे। हम कहां जाएं।"
जस्टिस खन्ना ने सिब्बल से कहा कि अर्जेंट लिस्टिंग के लिए मुख्य न्यायाधीश के सचिवालय को ईमेल से एक अनुरोध भेजना होगा। जब सिब्बल ने कहा कि वह पहले ही ऐसा कर चुके हैं, तो जस्टिस खन्ना ने कहा कि लिस्टिंग की तारीख तय करना सीजेआई पर निर्भर है। जब सिब्बल ने शुक्रवार को लिस्टिंग के लिए अनुरोध किया तो जस्टिस खन्ना ने कहा, "नहीं, मैं कुछ नहीं कह रहा हूं। सीजे सचिवालय तारीखें देगा।"
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ आज संविधान पीठ की सुनवाई में थे, इसलिए मामले का उल्लेख जस्टिस खन्ना (सुप्रीम कोर्ट के दूसरे वरिष्ठ न्यायाधीश) के समक्ष किया गया