ED ने कोयला घोटाले के आरोपियों को छत्तीसगढ़ से ट्रांसफर करने की मांग वाली सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका वापस ली
छत्तीसगढ़ कोयला लेवी घोटाला मामले में हालिया घटनाक्रम में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 2 आरोपियों को छत्तीसगढ़ राज्य से बाहर ट्रांसफर करने की अपनी याचिका वापस ले ली, जो सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित है।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच को 9 फरवरी को एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने अवगत कराया कि उन्हें जांच एजेंसी से याचिका वापस लेने के निर्देश मिले हैं। कोर्ट ने इसकी अनुमति दे दी और ED की याचिका वापस ली गई मानकर खारिज कर दी।
पुनरावृत्ति के लिए 2022 में ED ने कथित तौर पर छत्तीसगढ़ में कोयले के परिवहन के लिए प्रति टन 25 रुपये, 16 महीने के भीतर धनराशि 500 करोड़ रुपये की लेवी वसूलने वाले कार्टेल (वरिष्ठ नौकरशाहों, व्यापारियों, राजनेताओं और बिचौलियों को शामिल करते हुए) का खुलासा किया था। एजेंसी के केस के मुताबिक, इस पैसे का इस्तेमाल चुनावी फंडिंग और रिश्वत के लिए किया जा रहा था।
जुलाई, 2022 में आयकर विभाग द्वारा एफआईआर दर्ज की गई, जिसमें बाद में आईपीसी की धारा 384 (धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत अनुसूचित अपराध) जोड़ा गया। ED द्वारा ECIR दर्ज करने के बाद मनी लॉन्ड्रिंग का मामला सामने आया।
अक्टूबर, 2022 में छापे मारे गए, जिसमें आईएएस अधिकारी समीर विश्नोई, कोयला व्यवसायी सुनील अग्रवाल, उनके चाचा लक्ष्मीकांत तिवारी और 'किंगपिन' सूर्यकांत तिवारी की गिरफ्तारी हुई। इसके तुरंत बाद एजेंसी ने सौम्या चौरसिया (छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उप सचिव) को भी गिरफ्तार कर लिया।
अक्टूबर 2023 में ED ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और अनुरोध किया कि तिवारी और अग्रवाल को छत्तीसगढ़ से बाहर ले जाया जाए, क्योंकि वे न्यायिक हिरासत में हैं, लेकिन अस्पताल में भर्ती होने के कारण इसकी बड़ी राशि खर्च हो गई। एजेंसी ने आरोप लगाया कि अस्पताल में भर्ती होना बिना किसी वास्तविक कारण के था और राज्य में प्रभाव के कारण दोनों आरोपियों को "विशेष" सुविधाएं (आगंतुकों के रजिस्टर का रखरखाव न करना, कमरों के बाहर गार्ड की तैनाती न करना) दी जा रही थीं।
एजेंसी ने अपनी याचिका में दावा किया,
"आरोपी गैर-वास्तविक रिपोर्टिंग का संकेत देते हुए अस्पतालों के एक विभाग से दूसरे विभाग में घूमते रहते हैं और जेल के बाहर समय बिताने के लिए अस्पताल में लंबे समय तक रहने के लिए बीमारी ईजाद कर रहे हैं।"
यह भी कहा गया कि न्यायिक हिरासत में कुल 252 दिनों में से तिवारी ने 203 दिन निजी अस्पताल में बिताए। इसी तरह अग्रवाल 240 दिनों में से 68 दिनों तक अस्पताल में रहे।
अब एजेंसी ने ट्रांसफर के लिए याचिका को आगे नहीं बढ़ाने का निर्णय लिया। ED की याचिका वापस लेना दिसंबर, 2023 में छत्तीसगढ़ राज्य में नई सरकार के गठन की पृष्ठभूमि में आया, जो भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार की जगह लेगी, जिसका कोयला घोटाला मामले को लेकर एजेंसी के साथ टकराव चल रहा था।
केस टाइटल: प्रवर्तन निदेशालय बनाम छत्तीसगढ़ राज्य