'न्यायालय द्वारा संज्ञान लिए जाने के बाद ED गिरफ्तार नहीं कर सकता': सुप्रीम कोर्ट

Update: 2024-07-30 05:11 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को ओडिशा प्रशासनिक सेवा (ओएएस) के अधिकारी बिजय केतन साहू को अग्रिम जमानत दी। उन पर आय से अधिक संपत्ति के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा दायर धन शोधन का आरोप है।

जस्टिस अभय ओक और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ ने 24 जून, 2024 को साहू को गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण प्रदान करने वाला आदेश पारित किया। न्यायालय ने तरसेम लाल बनाम प्रवर्तन निदेशालय के फैसले पर भरोसा किया, जिसमें कहा गया कि ED विशेष न्यायालय द्वारा शिकायत का संज्ञान लिए जाने के बाद धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA Act) की धारा 19 (गिरफ्तारी की शक्ति) के तहत किसी आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर सकता।

न्यायालय ने आदेश में कहा,

“यह मामला तरसेम लाल बनाम प्रवर्तन निदेशालय में इस न्यायालय के फैसले के अंतर्गत आता है। इसलिए 24 जून 2024 का अंतरिम आदेश निरपेक्ष माना जाता है।”

साहू ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अग्रिम जमानत मांगी थी, जिसमें आरोप लगाया गया कि उनके पास 5 करोड़ रुपये की आय से अधिक संपत्ति है। यह मामला साहू, उनकी पत्नी नलिनी प्रुस्ती, राज्य वित्तीय अधिकारी और कई अन्य पारिवारिक सदस्यों के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति रखने के आरोप में दर्ज एफआईआर से संबंधित है।

इसके कारण ED ने PMLA Act के तहत जांच की और भुवनेश्वर की विशेष अदालत ने साहू को पेश होने के लिए समन जारी किया। साहू और उनकी पत्नी पर आरोप है कि उन्होंने भुवनेश्वर में छह प्लॉट और तिमंजिला इमारत सहित कई संपत्तियां अपने रिश्तेदार के नाम पर खरीदी हैं, जो आय का कोई स्वतंत्र स्रोत नहीं दिखा सका।

सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अंतरिम संरक्षण दिया, जब उनके वकील ने स्पष्ट किया कि साहू बिना गिरफ्तारी के तीन साल से जांच में सहयोग कर रहे हैं और पीएमएलए कोर्ट द्वारा समन नोटिस जारी किए जाने के बाद ही अग्रिम जमानत याचिका दायर की गई।

केस टाइटल- बिजय केतन साहू बनाम प्रवर्तन निदेशालय

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