Motor Accident Claims | मृत कर्मचारी को राज्य से मिलने वाले अनुकंपा लाभ को मुआवजे से काटा जाना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मोटर दुर्घटना में मृतक का परिवार "दोहरा लाभ" नहीं मांग सकता है। यदि मृतक की मृत्यु के कारण परिवार को राज्य सरकार से लाभ प्राप्त हुआ तो ऐसे लाभ मोटर वाहन अधिनियम के तहत देय मुआवजे से काटे जा सकते हैं।
इस मामले में हरियाणा राज्य रोडवेज में कार्यरत ड्राइवर की अपने कर्तव्यों का पालन करते समय सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई। मृतक (अपीलकर्ता) के परिवार के सदस्यों ने मोटर वाहन दुर्घटना में घायल होने के कारण मृतक रघुबीर की मृत्यु के कारण मोटर वाहन अधिनियम, 1986 (MVA) की धारा 166 के तहत मुआवजे का दावा करते हुए याचिका दायर की।
मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (ट्रिब्यूनल) ने अपीलकर्ता के दावे को इस नोट पर खारिज कर दिया कि 31,37,665/- रुपये की राशि हरियाणा मृतक सरकारी कर्मचारियों के आश्रितों को अनुकंपा सहायता, नियमों, 2006 के तहत राज्य सरकार से प्राप्त की जानी थी। यह राशि उस मुआवजे से अधिक हैं, जिसके दावेदार हकदार पाए गए।
ट्रिब्यूनल द्वारा अपनाए गए दृष्टिकोण की हाईकोर्ट ने पुष्टि की, जिसमें कहा गया कि सरकार द्वारा अपनी नीति के तहत प्राप्त राशि MVA के तहत मुआवजे के माध्यम से दावा की गई राशि से काट ली जाएगी।
मुआवजे की कुल राशि यानी 34,40,480/- रुपये में से 31,37,665/- रुपये की राशि अर्थात हरियाणा राज्य की नीति के अनुसार दावेदारों को प्राप्त होने वाली राशि काट ली गई। इस प्रकार दावेदारों को 3,02,815/- रुपये प्राप्त करने का हकदार माना गया।
हाईकोर्ट के विरुद्ध अपीलकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष विशेष अनुमति अपील दायर की।
अपीलकर्ता ने सेबेस्टियानी लाकड़ा और अन्य बनाम नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड (2018) के फैसले पर भरोसा करते हुए कहा कि लाभ में कटौती नहीं की जा सकती।
जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ ने रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम शशि शर्मा में पारित 2016 के फैसले का पालन किया। उन्होंने कहा कि नियोक्ता द्वारा मृतक के परिवार को दिया जाने वाला अनुग्रह मुआवजे से कटौती योग्य है।
खंडपीठ ने कहा कि सेबेस्टियानी लाकड़ा ने शशि शर्मा को इस आधार पर अलग कर दिया कि पूर्व मामले में शामिल राशि लाभ योजना थी, जिसमें मृत कर्मचारी ने योगदान दिया। जबकि, शशि शर्मा के मामले में यह अनुग्रहपूर्ण अनुकंपा सहायता है।
खंडपीठ ने कहा,
"हमने सेबेस्टियानी लाकड़ा (सुप्रा) में इस न्यायालय के फैसले का बारीकी से अध्ययन किया और हमने पाया कि उक्त मामले में इस न्यायालय की तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने शशि शर्मा (सुप्रा) और पैराग्राफ 18 में इस न्यायालय के तर्क को स्पष्ट रूप से अलग कर दिया है। उस मामले में 20 ने देखा कि यह नियोक्ता की पारिवारिक लाभ योजना है, जो शशि शर्मा (सुप्रा) में विचाराधीन नियमों से पूरी तरह से अलग है।"
तदनुसार, याचिका में कोई योग्यता नहीं मिलने के बाद अदालत ने MVP के तहत और सरकार द्वारा मुआवजा प्राप्त करने के दोहरे लाभ की मांग करने वाली मृतक परिवार के सदस्यों की याचिका पर विचार करने से इनकार किया।