Builder-Bank Nexus In NCR: सुप्रीम कोर्ट ने CBI को 22 मामले दर्ज करने की अनुमति दी, गुरुग्राम के जज को घर खरीदारों के खिलाफ ज़बरदस्ती के आदेशों की जांच करने का निर्देश दिया
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में "बिल्डर-बैंक गठजोड़" पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की अंतरिम रिपोर्ट पर विचार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एजेंसी को आगे की जाँच के लिए 22 नियमित मामले दर्ज करने की अनुमति दी।
इसके अलावा, गुरुग्राम की अदालतों की "समस्याओं" को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुरुग्राम के ज़िला एवं सेश जज को निर्देश दिया कि वे घर खरीदारों के खिलाफ ज़बरदस्ती के आदेश पारित करने की तथ्य-खोजी जाँच करें, जबकि ऐसी किसी भी कार्रवाई पर रोक लगाने वाला स्थगन आदेश जारी किया गया है। सेशन जज को 10 दिनों के भीतर रिपोर्ट दाखिल करने को कहा गया।
जस्टिस सूर्यकांत ने टिप्पणी की,
"यह एक गंभीर मामला है।"
संक्षेप में मामला
यह वही मामला है, जहां न्यायालय ने पहले CBI को NCR में बिल्डरों और बैंकों के "नापाक" गठजोड़ की सात प्रारंभिक जांच करने का निर्देश दिया था। न्यायालय ने यह भी कहा था कि कुछ रियल एस्टेट कंपनियां और NCR में उनकी प्रोजेक्ट के लिए उन्हें लोन देने वाले बैंकों ने गरीब घर खरीदारों से फिरौती वसूली की है।
जस्टिस कांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की खंडपीठ ने CBI को NCR के बाहर के प्रोजेक्ट्स के संबंध में की जा रही प्रारंभिक जांच पूरी करने के लिए छह सप्ताह का और समय दिया। जहां तक अन्य छह प्रारंभिक जांचों का सवाल है, CBI की रिपोर्ट में आगे की कार्रवाई और 22 नियमित मामले दर्ज करने का सुझाव दिया गया।
तदनुसार, न्यायालय ने जांच एजेंसी को कानून के अनुसार मामले में आगे की जाँच करने के लिए 22 नियमित मामले दर्ज करने की अनुमति दी। आदेश में आगे कहा गया कि यदि एजेंसी को अपनी जांच में कोई बाधा आती है, या उसे और अधिक सहायता की आवश्यकता होती है, तो वह न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के लिए स्वतंत्र होगी।
CBI के प्रयासों की सराहना करते हुए खंडपीठ ने कहा,
"हम 6 प्रारंभिक जांचों को पूरा करने में CBI द्वारा किए गए उत्कृष्ट प्रयासों की सराहना करते हैं, जिसके लिए हमारा मानना कि 1000 से ज़्यादा लोगों से पूछताछ की गई और [58] परियोजना स्थलों का दौरा करने के अलावा, विशाल अभिलेखों की जांच की गई। हम उम्मीद करते हैं कि नियमित मामलों के दर्ज होने के बाद भी CBI मुद्दों की व्यापकता और गंभीरता को ध्यान में रखते हुए उन मामलों की शीघ्र जांच करेगी ताकि जांच को उनके तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचाया जा सके।"
एमिक्स क्यूरी राजीव जैन द्वारा दायर विस्तृत नोट भी न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया, जिसे एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी के साथ साझा करने का अनुरोध किया गया ताकि "CBI या अन्य एजेंसियों की ओर से जानकारी और आवश्यक कार्रवाई की जा सके", यह देखते हुए कि यह एक 'आंख खोलने वाला' है।
जस्टिस कांत ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल से यह भी कहा कि CBI की फाइनल रिपोर्ट के कुछ प्रासंगिक अंश एमिक्स क्यूरी के साथ साझा किए जाने चाहिए।
CBI की रिपोर्ट से न्यायालय ने यह भी नोट किया कि कुछ घर खरीदार ऐसे थे जिनकी दलीलों में प्रथम दृष्टया सच्चाई का अभाव था। उन्हें उचित समय में कब्ज़ा देने की पेशकश की गई, लेकिन भुगतान से बचने या मुकदमा जारी रखने के लिए उन्होंने शिकायतें दर्ज कराईं। न्यायालय ने संकेत दिया कि ऐसे घर खरीदारों को कानून में उपलब्ध किसी भी उपाय का लाभ उठाने से वंचित रखा जाएगा और उन्हें रिट अधिकारिता का लाभ उठाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी (सम्मान कैपिटल की ओर से) ने एक आवेदन में आरोप लगाया कि इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (अब सम्मान कैपिटल) ने पैसे वसूलने के लिए घर खरीदारों के घर बदमाशों को भेजा था। उन्होंने दलील दी कि कंपनी ने किसी भी असामाजिक तत्व को शामिल नहीं किया। इसके बजाय, कंपनी का एक कर्मचारी घर खरीदार के पास गया और वह तथा कंपनी के प्रबंध निदेशक व्यक्तिगत रूप से न्यायालय में उपस्थित हुए।
न्यायालय को यह भी बताया गया कि इंडियाबुल्स से जुड़े कुछ शिकायत मामलों में गुरुग्राम की अदालतें (घर खरीदारों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए) ज़मानती/गैर-ज़मानती वारंट जारी कर रही हैं।
इस पर जस्टिस कांत ने टिप्पणी की,
"गुरुग्राम में हमारी अदालतों में भी एक समस्या है, मुझे बहुत सारी जानकारी मिल रही है।"
अंततः, खंडपीठ ने तथ्य-खोजी जाँच का आदेश दिया और गुरुग्राम सेशन जज से रिपोर्ट तलब की। सम्मान कैपिटल के प्रबंध निदेशक और अधिकारी को आगे की उपस्थिति से छूट दी गई।
Case Title: HIMANSHU SINGH AND ORS. Versus UNION OF INDIA AND ORS., SLP(C) No. 7649/2023 (and connected cases)