Bhima Koregaon Case: सुप्रीम कोर्ट ने ज्योति जगताप की याचिका 7 अगस्त तक स्थगित की

Update: 2024-07-15 08:52 GMT

कार्यकर्ता और भीमा कोरेगांव मामले की आरोपी ज्योति जगताप द्वारा बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा नियमित जमानत देने से इनकार करने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई 7 अगस्त तक स्थगित करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा कि वह उन्हें अंतरिम जमानत देने के लिए इच्छुक नहीं है।

जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस अरविंद कुमार की खंडपीठ के समक्ष मामला था, जिसे सीनियर एडवोकेट मिहिर देसाई (जगताप की ओर से पेश) ने सूचित किया कि मामले को गलती से अंतरिम जमानत के लिए सूचीबद्ध किया गया।

कॉज लिस्ट (जिसके अनुसार मामले को अंतरिम जमानत के प्रश्न पर निर्णय लेने के लिए सूचीबद्ध किया गया ) पर ध्यान देते हुए जस्टिस सुंदरेश ने कहा,

"हम अंतरिम जमानत के लिए इच्छुक नहीं हैं..."।

जवाब में सीनियर वकील ने तुरंत कहा,

"हमने अंतरिम जमानत के लिए भी नहीं कहा। यह गलत तरीके से दिखाया गया। इस पर सुनवाई करनी होगी। वह 3.5 साल से जेल में है।"

जगताप को पुणे के भीमा कोरेगांव में 2018 में हुई जाति आधारित हिंसा के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया और प्रतिबंधित वामपंथी संगठन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के साथ कथित संबंध होने के कारण वह गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (UAPA Act) के तहत अपराधों के लिए सितंबर 2020 से जेल में बंद है।

उल्लेखनीय है कि भीमा कोरेगांव मामले के अन्य आरोपी - एक्टिविस्ट और पत्रकार गौतम नवलखा को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी थी, बशर्ते कि उन्हें अपने घर में नजरबंदी के लिए 20 लाख रुपये का भुगतान करना पड़े। नवलखा को 14 अप्रैल, 2020 को गिरफ्तार किया गया था।

बॉम्बे हाईकोर्ट ने उन्हें यह कहते हुए जमानत दे दी थी कि उनके पास कोई ऐसा सबूत नहीं है, जिससे यह अनुमान लगाया जा सके कि उन्होंने कोई आतंकवादी कृत्य किया, लेकिन NIA को इसे चुनौती देने में सक्षम बनाने के लिए 3 सप्ताह के लिए आदेश पर रोक लगा दी। इस रोक को सुप्रीम कोर्ट ने समय-समय पर बढ़ाया और आखिरकार हटा लिया।

जस्टिस सुंदरेश और जस्टिस एसवीएन भट्टी की खंडपीठ ने कहा कि नवलखा 4 साल से अधिक समय से जेल में बंद हैं और मुकदमा पूरा होने में कई साल लगेंगे।

इससे पहले 5 अप्रैल को जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने नागपुर यूनिवर्सिटी की पूर्व प्रोफेसर शोमा सेन को जमानत दी थी, जिन पर भीमा कोरेगांव मामले के संबंध में कथित माओवादी संबंधों के लिए UAPA के तहत मामला दर्ज किया गया। सेन को 6 जून, 2018 को गिरफ्तार किया गया था और तब से वे हिरासत में हैं और मुकदमे का इंतजार कर रही हैं।

आदेश पारित करते समय खंडपीठ ने सेन की अधिक उम्र (कई बीमारियों के साथ), लंबे समय तक जेल में रहने, मुकदमे की शुरुआत में देरी और आरोपों की प्रकृति को ध्यान में रखा।

केस टाइटल: ज्योति जगताप बनाम राष्ट्रीय जांच एजेंसी और अन्य | विशेष अनुमति याचिका (आपराधिक) नंबर 5997/2023

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