सुप्रीम कोर्ट ने COVID वैक्सीन के साइड इफेक्ट का आरोप लगाने वाली याचिका खारिज की

Update: 2024-10-14 13:08 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने COVID वैक्सीन के स्वास्थ्य संबंधी साइड इफेक्ट का आरोप लगाने वाली जनहित याचिका खारिज की।

याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि कथित तौर पर वैक्सीन की वजह से रक्त के थक्के जमने जैसे साइड इफेक्ट होते हैं। उन्होंने उल्लेख किया कि इसी तरह की चिंताओं पर यूनाइटेड किंगडम जैसे विदेशी देशों में क्लास एक्शन सूट दायर किए गए।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच मामले की सुनवाई कर रही थी।

सीजेआई ने जोर देकर कहा कि वैक्सीन ने वैश्विक स्तर पर महामारी संकट पर काबू पाने में मदद की है और अब ऐसी याचिका दायर करना उचित नहीं होगा।

उन्होंने कहा,

"COVID वैक्सीन की वजह से हम उस महामारी से निपटने में सक्षम थे, जिसने मानवता को हिलाकर रख दिया। अब इन मुद्दों को न उठाएं।"

सीजेआई ने कहा कि अगर याचिकाकर्ता वास्तव में व्यथित हैं तो उन्हें अनुच्छेद 32 याचिका दायर करने के बजाय सामूहिक मुकदमा दायर करना चाहिए।

इसके बाद जस्टिस पारदीवाला ने हस्तक्षेप करते हुए पूछा कि क्या याचिकाकर्ता को वैक्सीन लेने के बाद व्यक्तिगत रूप से कोई दुष्प्रभाव हुआ है। वकील ने नकारात्मक जवाब दिया।

याचिका पर आगे विचार करने से इनकार करते हुए सीजेआई ने टिप्पणी की:

"यह भी समझें कि अगर आपने वैक्सीन नहीं ली होती तो क्या दुष्प्रभाव होते। हम इस मुद्दे को उठाना नहीं चाहते, यह सिर्फ सनसनी पैदा करने के लिए है। याचिका खारिज की जाती है।"

ब्रिटिश फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका 51 याचिकाकर्ताओं द्वारा यूके हाईकोर्ट में कानूनी मुकदमे का सामना कर रही है, जिसमें वैक्सीन के परिणामस्वरूप मृत्यु और गंभीर चोटों का दावा किया गया है। कार्यवाही के दौरान, कंपनी ने स्वीकार किया कि COVID वैक्सीन दुर्लभ परिदृश्यों में थ्रोम्बोसिस विद थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (टीटीएस) नामक स्थिति पैदा कर सकती है।

एस्ट्राजेनेका ने 'कोविशील्ड' सहित कई वैक्सीन विकसित की थीं, जिसका निर्माण सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा किया गया था।

केस टाइटल: प्रिया मिश्रा एवं अन्य बनाम भारत संघ एवं अन्य डायरी नंबर 22945-2024

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