Banke Bihari Temple | अध्यादेश की वैधता पर हाईकोर्ट के निर्णय लिए जाने तक समिति को निलंबित करने का आदेश पारित किया जाएगा: सुप्रीम कोर्ट

Update: 2025-08-08 08:24 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह उत्तर प्रदेश श्री बांके बिहारी जी मंदिर न्यास अध्यादेश, 2025 के तहत समिति के संचालन को निलंबित करने का आदेश पारित करेगा, जिसे मथुरा के वृंदावन स्थित बांके बिहारी मंदिर का प्रबंधन सौंपा गया है।

न्यायालय ने कहा कि वह अध्यादेश की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने के लिए याचिकाकर्ताओं को हाईकोर्ट में भेजेगा और जब तक हाईकोर्ट इस मामले का निर्णय नहीं ले लेता, समिति को स्थगित रखा जाएगा। न्यायालय ने कहा कि इस बीच मंदिर के सुचारू प्रशासन को सुनिश्चित करने के लिए वह एक अन्य समिति का गठन करेगा, जिसकी अध्यक्षता हाईकोर्ट के पूर्व जज करेंगे। समिति में कुछ सरकारी अधिकारी और गोस्वामी, जो मंदिर के पारंपरिक संरक्षक हैं, उसके प्रतिनिधि भी शामिल होंगे।

न्यायालय ने आगे कहा कि वह मई में समन्वय पीठ द्वारा दिए गए निर्णय के निर्देशों को वापस लेगा, जिसमें राज्य सरकार को पुनर्विकास परियोजना के लिए मंदिर के धन का उपयोग करने की अनुमति दी गई थी।

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की खंडपीठ ने उक्त आदेश पारिता किया।

जस्टिस सूर्यकांत ने याचिकाकर्ताओं से कहा,

"हम आपको अध्यादेश को हाईकोर्ट में चुनौती देने की स्वतंत्रता देते हैं। अध्यादेश के अनुसार समिति का गठन स्थगित रखा जाएगा ताकि हाईकोर्ट द्वारा मामले का फैसला होने तक अध्यादेश प्रभावी न हो... इस बीच, हम हाईकोर्ट के पूर्व जज की अध्यक्षता में समिति का गठन करेंगे... हम समिति में कुछ अधिकारियों को शामिल करेंगे। आप में से कुछ को भी। हम आपको मोटे तौर पर बता रहे हैं। हम समिति के अध्यक्ष को कुछ गोस्वामी भी रखने के लिए अधिकृत करेंगे... समिति क्षेत्र में विकास गतिविधियों पर नज़र रखेगी।"

इसके अलावा, खंडपीठ ने वर्तमान में अध्यादेश को चुनौती देने वाली इलाहाबाद हाईकोर्ट की एकल पीठ के समक्ष लंबित रिट याचिका की कार्यवाही पर रोक लगाने का आदेश पारित किया और चीफ जस्टिस से अनुरोध किया कि वे मामले को एक खंडपीठ को सौंप दें, क्योंकि क़ानूनों की संवैधानिकता से संबंधित मामलों की सुनवाई आमतौर पर खंडपीठ द्वारा की जाती है।

याचिकाकर्ताओं की ओर से सीनियर एडवोकेट श्याम दीवान, कपिल सिब्बल, गोपाल शंकरनारायणन आदि उपस्थित हुए।

उत्तर प्रदेश राज्य की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल के.एम. नटराज उपस्थित हुए।

गौरतलब है कि 4 अगस्त को न्यायालय ने कुछ आलोचनात्मक टिप्पणियां की थीं, जब उसने मथुरा के वृंदावन स्थित बांके बिहारी मंदिर का प्रबंधन अपने हाथ में लेने के लिए अध्यादेश जारी करने में उत्तर प्रदेश सरकार की "अत्यधिक जल्दबाजी" पर सवाल उठाया था। उक्त सुनवाई में न्यायालय ने उस "गुप्त तरीके" पर अपनी असहमति व्यक्त की, जिससे राज्य सरकार ने 15 मई के फैसले के माध्यम से मंदिर के धन के उपयोग के लिए एक दीवानी विवाद में आवेदन दायर करके, जिसमें मंदिर प्रबंधन पक्षकार नहीं था, अनुमति प्राप्त की।

5 अगस्त को उत्तर प्रदेश सरकार ने आग्रह किया कि उसका अध्यादेश के माध्यम से किसी भी धार्मिक अधिकार में हस्तक्षेप करने का इरादा नहीं है। उसने आगे दावा किया कि अध्यादेश को जल्द ही अनुमोदन के लिए विधानसभा के समक्ष रखा जाएगा। उत्तर प्रदेश सरकार के प्रस्ताव पर विचार करने के बाद न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं को भी अपने सुझाव देने के लिए मामले की सुनवाई स्थगित कर दी। न्यायालय ने दोनों पक्षों से अंतरिम उपाय के रूप में मंदिर प्रबंधन की निगरानी हेतु एक समिति के प्रमुख के रूप में हाईकोर्ट के पूर्व जज की नियुक्ति के लिए अपनी सिफारिशें देने को भी कहा।

Case Title:

(1) DEVENDRA NATH GOSWAMI Versus STATE OF UTTAR PRADESH AND ANR., W.P.(C) No. 709/2025

(2) MANAGEMENT COMMITTEE OF THAKUR SHREE BANKEY BIHARI JI MAHARAJ TEMPLE AND ANR. Versus STATE OF UTTAR PRADESH AND ORS., W.P.(C) No. 704/2025 (and connected case)

(3) THAKUR SHRI BANKEY BIHARIJI MAHARAJ THROUGH SHEBAIT HIMANSHU GOSWAMI AND ANR. Versus STATE OF UTTAR PRADESH AND ANR., W.P.(C) No. 734/2025

(4) ISHWAR CHANDA SHARMA Versus THE STATE OF UTTAR PRADESH AND ORS., Diary No. 28487-2025 (and connected case)

(5) ISHWAR CHANDA SHARMA Versus DEVENDRA KUMAR SHARMA AND ORS., Diary No. 39950-2025

(6) HARIDASI SAMPRADAY THROUGH DAMANDEEP SINGH AND AMAR NATH GAUTAM SHISHYA OF HARIDASI SAMPRADAY AND ORS. Versus THE STATE OF UTTAR PRADESH AND ANR., W.P.(C) No. 707/2025

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