सेल एग्रीमेंट के विशिष्ट निष्पादन हेतु डिक्री के समनुदेशन के लिए रजिस्ट्रेशन आवश्यक नहीं: सुप्रीम कोर्ट

Update: 2025-11-19 14:26 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (19 नवंबर) को व्यवस्था दी कि सेल एग्रीमेंट के विशिष्ट निष्पादन हेतु डिक्री को बिना रजिस्ट्रेशन के भी वैध रूप से समनुदित किया जा सकता है। कोर्ट ने इस बात पर ज़ोर दिया कि ऐसी डिक्री स्वयं कोई स्वामित्व हित उत्पन्न नहीं करती जिससे अनिवार्य पंजीकरण की आवश्यकता उत्पन्न हो।

जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस केवी विश्वनाथन की खंडपीठ ने यह टिप्पणी करते हुए,

"क्या अचल संपत्ति के विक्रय समझौते के विशिष्ट निष्पादन हेतु डिक्री समनुदेशन करने वाले डीड को रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1908 के प्रावधानों के तहत रजिस्टर्ड किया जाना चाहिए?" इस प्रश्न पर विचार करते हुए की, "क्या अचल संपत्ति के विक्रय समझौते के विशिष्ट निष्पादन हेतु डिक्री समनुदेशन करने वाले विलेख को पंजीकरण अधिनियम, 1908 के प्रावधानों के तहत पंजीकृत किया जाना चाहिए?"

यह विवाद 1993 में विशिष्ट निष्पादन हेतु एकपक्षीय डिक्री से उत्पन्न हुआ था। डिक्रीधारक ने 1995 में एक अन-रजिस्टर्ड डीड के माध्यम से प्रतिवादी, षणमुगम को डिक्री सौंप दी।

प्रतिवादी-असाइनी ने निष्पादन की मांग की तो निर्णय-ऋणी/अपीलकर्ताओं के कानूनी उत्तराधिकारियों ने यह तर्क देते हुए आपत्ति जताई कि यह असाइनमेंट अमान्य है, क्योंकि यह रजिस्टर्ड नहीं था। एग्जीक्यूटिंग ने आपत्ति से सहमति व्यक्त की और निष्पादन याचिका खारिज कर दिया।

हाईकोर्ट ने एग्जीक्यूटिंग कोर्ट के निर्णय को उलट दिया, जिससे निर्णय-ऋणी को सुप्रीम कोर्ट में अपील करने के लिए प्रेरित किया गया।

हाईकोर्ट के निर्णय की पुष्टि करते हुए जस्टिस विश्वनाथन द्वारा लिखित निर्णय में कहा गया कि इस तरह के डिक्री के असाइनमेंट से रजिस्ट्रेशन एक्ट की धारा 17(1)(ई) लागू नहीं होती, क्योंकि विशिष्ट निष्पादन के लिए डिक्री अचल संपत्ति में कोई अधिकार, स्वामित्व या हित नहीं बनाती है। यह केवल डिक्रीधारक को निष्पादन के माध्यम से विक्रय समझौते के प्रवर्तन की मांग करने की अनुमति देती है।

सूरज लैम्प्स बनाम हरियाणा राज्य (2012) 1 एससीसी 656 पर भरोसा करते हुए कोर्ट ने दोहराया कि सेल एग्रीमेंट का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है, क्योंकि यह संपत्ति में स्वामित्व और हित का हस्तांतरण करता है, और विशिष्ट निष्पादन डिक्री प्रदान करने वाले असाइनमेंट डीड के लिए रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि यह स्वामित्व का हस्तांतरण नहीं करता है, बल्कि केवल विक्रय समझौते के प्रवर्तन की मांग करने का अधिकार प्रदान करता है।

तदनुसार, अपील खारिज कर दी गई।

Cause Title: Rajeswari & Ors. Versus Shanmugam & Anr.

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