पब्लिक प्रॉपर्टी डैमेज प्रिवेंशन एक्ट के तहत कोई भी शिकायत दर्ज करा सकता है: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पब्लिक प्रॉपर्टी डैमेज प्रिवेंशन एक्ट, 1984 (1984 एक्ट) के तहत सज़ा वाले अपराधों के लिए कोई भी शिकायत शुरू कर सकता है, क्योंकि एक्ट इस बात पर कोई रोक नहीं लगाता कि क्रिमिनल लॉ को कौन लागू कर सकता है।
जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस प्रसन्ना बी. वराले की बेंच ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का वह आदेश रद्द करते हुए यह बात कही, जिसमें 1984 एक्ट के साथ पढ़े गए भारतीय दंड संहिता (IPC) के अलग-अलग नियमों के तहत ग्राम प्रधान की शिकायत पर संज्ञान लेने के बाद आरोपी को मजिस्ट्रेट द्वारा समन भेजने को रद्द कर दिया गया।
हाईकोर्ट ने मजिस्ट्रेट का आदेश यह कहते हुए रद्द कर दिया कि केवल यू.पी. रेवेन्यू कोड, 2006 के तहत एक भूमि प्रबंधक समिति ही क्रिमिनल लॉ लागू कर सकती है। पब्लिक प्रॉपर्टी को हुए नुकसान के खिलाफ एक्शन लिया जा सकता है, क्योंकि ग्राम प्रधान सही अथॉरिटी नहीं थे, इसलिए हाई कोर्ट ने शिकायत को मेंटेनेबल नहीं माना।
हाईकोर्ट के तरीके को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि यू.पी. रेवेन्यू कोड के प्रोविज़न, सिविल नेचर के होने के कारण नुकसान के असेसमेंट या ट्रेसपासर्स को निकालने से जुड़े बिल्कुल अलग कॉन्टेक्स्ट में काम करते हैं। 1984 एक्ट के तहत क्रिमिनल प्रोसिडिंग शुरू करने के लिए कोर्ट ने कहा कि कोई भी क्रिमिनल लॉ को लागू कर सकता है, क्योंकि “1984 एक्ट में ऐसा कोई खास प्रोविज़न नहीं है, जो शिकायत करने वाले व्यक्ति की एलिजिबिलिटी को लिमिट करता हो।”
कोर्ट ने कहा,
“हमारी राय है कि हाई कोर्ट ने यह मानकर कानून में साफ तौर पर गलती की कि चूंकि ग्राम प्रधान FIR दर्ज करने के लिए सही अथॉरिटी नहीं है, इसलिए स्पेशल जज का कॉग्निजेंस लेना और आरोपी को समन भेजना कानून के हिसाब से गलत है।”
इसलिए अपील स्वीकार कर ली गई।
Cause Title: LAL CHANDRA RAM VERSUS STATE OF U.P. & ORS.