हाईकोर्ट के सभी सेवानिवृत्त जज 'वन रैंक वन पेंशन' सिद्धांत के आधार पर समान और पूर्ण पेंशन के हकदार: सुप्रीम कोर्ट

Update: 2025-05-19 10:11 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (19 मई) को एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि सभी सेवानिवृत्त जज "वन रैंक वन पेंशन" के सिद्धांत के अनुरूप, अपनी सेवानिवृत्ति की तिथि और प्रवेश के स्रोत के बावजूद, पूर्ण और समान पेंशन के हकदार हैं।

कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट के जजों की पेंशन में इस आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता कि वे कब सेवा में आए और उन्हें न्यायिक सेवा से नियुक्त किया गया है या बार से। कोर्ट ने कहा, "हम मानते हैं कि हाईकोर्ट के सभी सेवानिवृत्त जज, चाहे वे जिस भी तिथि को नियुक्त हुए हों, पूर्ण पेंशन पाने के हकदार होंगे।"

चीफ ज‌स्टिस ऑफ इंडिया बीआर गवई, जस्टिस एजी मसीह और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ ने निम्नलिखित निर्देश पारित किए।

1. यूनियन ऑफ इंडिया हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त चीफ जस्टिस को प्रति वर्ष 15 लाख रुपये की पूर्ण पेंशन का भुगतान करेगा।

2. यूनियन ऑफ इंडिया हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त चीफ जस्टिस के अलावा किसी अन्य सेवानिवृत्त हाईकोर्ट के जज को प्रति वर्ष 13.50 लाख रुपये की पूर्ण पेंशन का भुगतान करेगा। सेवानिवृत्त हाईकोर्ट जज में वह व्यक्ति भी शामिल होगा जो अतिरिक्त जज के रूप में सेवानिवृत्त हुआ हो।

3. यूनियन ऑफ इंडिया हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जजों के लिए "वन रैंक वन पेंशन" के सिद्धांत का पालन करेगा, चाहे उनके प्रवेश का स्रोत कोई भी हो, अर्थात जिला न्यायपालिका या बार, और चाहे उन्होंने जिला जज या हाईकोर्ट के जज के रूप में कितने भी वर्षों तक सेवा की हो, और उन सभी को पूर्ण पेंशन का भुगतान किया जाएगा।

4. हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज के मामले में, जो पहले जिला जज के रूप में कार्य कर चुके हैं, यूनियन ऑफ इंडिया उन्हें जिला न्यायपालिका के जज के रूप में सेवानिवृत्त होने की तिथि से लेकर हाईकोर्ट के जज के रूप में कार्यभार ग्रहण करने की तिथि के बीच सेवा में किसी भी अंतराल के बावजूद पूर्ण पेंशन का भुगतान करेगा।

5. हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज के मामले में, जो पहले जिला जज के रूप में कार्य कर चुके हैं और जो अंशदायी पेंशन योजना या नई पेंशन योजना के लागू होने के बाद जिला न्यायपालिका में शामिल हुए हैं, यूनियन ऑफ इंडिया उन्हें पूर्ण पेंशन का भुगतान करेगा। जहां तक ​​एनपीएस में उनके योगदान का सवाल है, हम राज्यों को निर्देश देते हैं कि वे हाईकोर्ट के ऐसे सेवानिवृत्त जजों द्वारा योगदान की गई पूरी राशि, साथ ही उस पर अर्जित लाभांश, यदि कोई हो, वापस करें।

6. यूनियन ऑफ इंडिया हाईकोर्ट के ऐसे जज की विधवा या परिवार के सदस्यों को पारिवारिक पेंशन का भुगतान करेगा, जिनकी सेवा के दौरान मृत्यु हो गई हो, भले ही ऐसा जज हाईकोर्ट का स्थायी जज हो या अतिरिक्त जज।

7. यूनियन ऑफ इंडिया हाईकोर्ट के जज की विधवा या परिवार के सदस्यों को ग्रेच्युटी का भुगतान करेगा, जिनकी सेवा के दौरान मृत्यु हो गई हो, उक्त जज की सेवा अवधि में कैरियर अवधि जोड़कर, चाहे सेवा की न्यूनतम अर्हक अवधि पूरी हुई हो या नहीं।

8. यूनियन ऑफ इंडिया हाईकोर्ट के जज को हाईकोर्ट जज (वेतन और सेवा की शर्तें) अधिनियम 1954 के प्रावधानों के अनुसार सभी भत्ते देगा और इसमें अवकाश नकदीकरण, पेंशन का कम्यूटेशन, भविष्य निधि शामिल होगी। जजों के सेवानिवृत्ति लाभों के मुद्दे पर स्वप्रेरणा से लिए गए मामले में पीठ ने निर्देश पारित किए। पूर्व हाईकोर्ट के जजों द्वारा दायर कुछ रिट याचिकाओं पर भी विचार किया गया।

सीजेआई बीआर गवई ने फैसला सुनाते हुए कहा कि पीठ ने अनुच्छेद 221 और हाईकोर्ट जज (वेतन और सेवा शर्तें) अधिनियम 1954 के प्रावधानों की जांच की है।

सीजेआई गवई ने कहा,

"सेवानिवृत्त जजों को पेंशन के भुगतान के मामले में किसी भी आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता है। न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए यह आवश्यक है कि सेवानिवृत्ति के बाद भी उन्हें समान टर्मिनल लाभ मिले। हाईकोर्ट के जज के प्रवेश के स्रोत के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता है, क्योंकि एक बार जब कोई जज संवैधानिक पद पर आ जाता है, तो संवैधानिक पद की गरिमा की मांग होती है कि सभी जजों को समान पेंशन दी जाए। इसलिए हमने माना कि हाईकोर्ट के सभी सेवानिवृत्त जज पूर्ण पेंशन प्राप्त करने के हकदार हैं।"

निर्णय में आगे कहा गया कि जिला जज के रूप में सेवानिवृत्ति की तारीख और हाईकोर्ट के जज के रूप में नियुक्ति की तारीख के बीच सेवा में विराम के आधार पर पेंशन कम नहीं की जा सकती है।

इस मुद्दे पर कि क्या जज नई पेंशन योजना के लागू होने के बाद जिला न्यायपालिका में प्रवेश के आधार पर अलग-अलग पेंशन के हकदार हैं, न्यायालय ने टिप्पणी की,

"जहां हाईकोर्ट के सभी जजों को सेवा में रहते हुए समान व्यवहार दिया जाता है, वहीं सेवानिवृत्ति के बाद टर्मिनल लाभों के लिए किसी भी आधार पर उनके बीच कोई भेदभाव भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन होगा। इसलिए हमने माना है कि हाईकोर्ट के सभी सेवानिवृत्त जज, चाहे वे जिस भी तिथि को नियुक्त हुए हों, पूर्ण पेंशन पाने के हकदार हैं।"

सेवानिवृत्त अतिरिक्त जज भी समान पेंशन के हकदार हैं

न्यायालय ने आगे कहा कि स्थायी जज और अतिरिक्त जज के बीच कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता। न्यायालय ने कहा, "यहां तक ​​कि हाईकोर्ट के जज के मामले में भी, जो अतिरिक्त जज के रूप में सेवानिवृत्त हुए हैं, वे पूर्ण पेंशन पाने के हकदार होंगे।"

अतिरिक्त जजों की विधवा, विधुर या परिवार के सदस्य पारिवारिक पेंशन के हकदार हैं।

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