सुप्रीम कोर्ट ने GMR-नागपुर एयरपोर्ट मुद्दे पर यूनियन और AAI की क्यूरेटिव याचिकाओं बंद की

Update: 2024-09-27 09:55 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (27 सितंबर) को GMR ग्रुप को नागपुर के बाबासाहेब अंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के परिचालन प्रबंधन के अधिकार देने वाले फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार और भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) द्वारा दायर क्यूरेटिव याचिकाओं को बंद कर दिया।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अपनी व्यक्तिगत क्षमता में यह राय दी कि रूपा अशोक हुर्रा बनाम अशोक हुर्रा फैसले के मापदंडों के भीतर क्यूरेटिव क्षेत्राधिकार के प्रयोग के लिए कोई आधार नहीं बनाया गया, जिसके बाद कोर्ट ने क्यूरेटिव याचिकाओं को बंद कर दिया।

इससे पहले न्यायालय ने क्यूरेटिव याचिका की स्थिरता के बारे में सॉलिसिटर जनरल से राय मांगी थी। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि यह उनका व्यक्तिगत विचार है कि क्यूरेटिव याचिकाएं स्थिरता योग्य नहीं हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका निवेदन केंद्र सरकार के साथ किसी परामर्श पर आधारित नहीं था।

सॉलिसिटर जनरल ने कहा,

"सख्ती से कहें तो मेरा व्यक्तिगत विचार है कि यह रूपा अशोक हुर्रा के मापदंडों के अंतर्गत नहीं आता है। तीन श्रेणियां निर्धारित की गई हैं - (ए) पक्षपात, (बी) सुनवाई का अभाव, (सी) समान अनुरूप आधार। इन कार्यवाहियों को छद्म रूप में अंतर-न्यायालय अपील में नहीं बदला जा सकता। जहां तक सुनवाई का सवाल है हमारी बात सुनी गई। मुझे अपने निर्णय पर गर्व है पहले किसी अन्य वकील ने राय दी थी न कि अब पेश होने वाले वकील ने जो पक्षपात के दूसरे आधार की ओर इशारा करते हैं। लेकिन यह मेरा पेशेवर निर्णय है कि यह पक्षपात का मामला नहीं है। मैं पक्षपात का वह आधार नहीं उठा सकता। कोई भी उसे नहीं उठा सकता।”

एसजी ने न्यायालय से अनुरोध किया कि वह हाईकोर्ट द्वारा की गई इस टिप्पणी को स्पष्ट करे कि इस तरह के अनुबंधों में भारत संघ या एएआई आवश्यक पक्ष नहीं हैं, क्योंकि इससे अन्य अनुबंधों पर असर पड़ सकता है। न्यायालय ने यह स्पष्ट करने पर सहमति जताई कि हाईकोर्ट की इस टिप्पणी को कानून के सही कथन के रूप में नहीं पढ़ा जा सकता।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस जेके माहेश्वरी की पीठ ने एसजी का बयान दर्ज किया और मामले को बंद कर दिया।

पीठ ने कहा,

"पिछले अवसर पर इस न्यायालय ने सॉलिसिटर जनरल से इस न्यायालय को निष्पक्ष रूप से अवगत कराने का अनुरोध किया कि क्या क्यूरेटिव याचिका में केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए आधार रूपा हुर्रा बनाम अशोक हुर्रा के निर्णय के दायरे में आते हैं। सॉलिसिटर जनरल से इस न्यायालय को यह भी अवगत कराने का अनुरोध किया गया था कि क्या केंद्र सरकार के सुविचारित दृष्टिकोण में, वह इन कार्यवाहियों को आगे बढ़ाना चाहेगी।”

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आज सुनवाई के दौरान प्रस्तुत किया कि यद्यपि भारत संघ ने शुरू में क्यूरेटिव याचिकाओं में कुछ मुद्दों को आगे बढ़ाने का इरादा किया था, उनके पेशेवर निर्णय में क्यूरेटिव याचिका में उठाए जाने वाले मुद्दे रूपा हुर्रा के तीन-स्तरीय मापदंडों के अंतर्गत नहीं आते हैं।

एसजी ने प्रस्तुत किया कि यह न्यायालय इस आक्षेपित निर्णय के पैराग्राफ 51 में निष्कर्षों के संबंध में स्पष्टीकरण जारी कर सकता है कि ऐसे मामलों में न तो भारत संघ और न ही एएआई आवश्यक पक्ष हैं।

एसजी ने कहा कि यदि कानून का उपरोक्त कथन भविष्य में भी लागू रहता है तो भारत संघ और भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण को भविष्य के मुकदमों में कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। हम सॉलिसिटर जनरल के उपरोक्त दृष्टिकोण को उचित पाते हैं। सॉलिसिटर जनरल के कथन के आधार पर हम दर्ज करते हैं कि इस न्यायालय के समक्ष उपचारात्मक याचिका नहीं पेश की गई है। यह स्पष्ट किया जाता है कि विवादित निर्णय के पैराग्राफ 51 में यह टिप्पणी कि न तो भारत संघ और न ही भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ऐसी कार्यवाही में आवश्यक पक्ष हैं कानून की सही स्थिति को प्रतिबिंबित नहीं करेगी और इस मुद्दे को भविष्य में तय किए जाने वाले उचित मामले में तय किए जाने के लिए खुला छोड़ दिया गया है।

केस टाइटल- भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण बनाम जीएमआर एयरपोर्ट्स लिमिटेड और अन्य | क्यूरेटिव याचिका (सिविल) संख्या 198/2022

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