सहायता प्राप्त स्कूल शिक्षक का पद राज्य सरकार के अधीन पद के समान, ग्रेच्युटी राज्य के नियमों द्वारा नियंत्रित: सुप्रीम कोर्ट

Update: 2025-07-15 05:08 GMT

यह देखते हुए कि सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल में कार्यरत शिक्षक राज्य सरकार के अधीन पद के समान पद पर है, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सहायता प्राप्त स्कूल शिक्षक की ग्रेच्युटी ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम, 1972 (1972 अधिनियम) द्वारा नियंत्रित नहीं होगी, बल्कि वेतन और भत्तों से संबंधित राज्य सेवा नियमों द्वारा नियंत्रित होगी।

जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की खंडपीठ ने उस मामले की सुनवाई की जिसमें अपीलकर्ता की माँ (अब दिवंगत) महाराष्ट्र सरकार के सहायता प्राप्त स्कूल में शिक्षिका थीं। उनकी मृत्यु के बाद उनके नामांकित व्यक्ति होने के नाते अपीलकर्ता ने 1972 अधिनियम के तहत ग्रेच्युटी का दावा किया, लेकिन हाईकोर्ट ने उसका दावा खारिज कर दिया गया। इसके बाद उसने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।

प्रतिवादी-राज्य ने तर्क दिया कि चूंकि सहायता प्राप्त स्कूल शिक्षकों के वेतन और पेंशन लाभ राज्य सरकार द्वारा दिए जाते हैं, इसलिए वे सरकारी कर्मचारियों के समान हैं। इस प्रकार मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी (DCRG) के भुगतान हेतु महाराष्ट्र सिविल सेवा (पेंशन नियम), 1982 ("1982 नियम") के अंतर्गत आते हैं।

ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम की धारा 2(ई) के तहत कर्मचारी की परिभाषा में सरकार के अधीन पद धारण करने वाले व्यक्ति को शामिल नहीं किया गया।

जस्टिस चंद्रन द्वारा लिखित निर्णय में मृतक शिक्षक के पुत्र को ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम, 1972 के तहत ग्रेच्युटी लाभ देने से इनकार कर दिया गया। इसके बजाय, न्यायालय ने निर्देश दिया कि ये लाभ 1982 के नियमों के तहत प्रदान किए जाएं। इसने तर्क दिया कि यद्यपि अपीलकर्ता की दिवंगत माँ सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल में कार्यरत थीं। राज्य सरकार की कर्मचारी नहीं थीं, फिर भी उनका पद राज्य सरकार के अधीन पद के समकक्ष था, क्योंकि उनकी सेवा शर्तें राज्य द्वारा बनाए गए नियमों द्वारा शासित थीं, जिससे उनके कानूनी उत्तराधिकारियों को 1982 के नियमों के तहत मृत्यु-पश्चात लाभ प्राप्त करने का अधिकार प्राप्त हुआ।

अदालत ने कहा,

"यह अवश्य देखा जाना चाहिए कि सभी व्यावहारिक उद्देश्यों के लिए एक सहायता प्राप्त स्कूल में शिक्षक राज्य सरकार के अधीन एक पद के समान है। प्रासंगिक तथ्य यह है कि सहायता प्राप्त स्कूलों में पद या तो सरकार द्वारा स्वीकृत होते हैं या नियमों के अनुसार स्वीकृत होते हैं और वेतन और भत्ते भी सरकार द्वारा दिए जाते हैं। सहायता प्राप्त स्कूल के शिक्षक भी सरकारी शिक्षकों पर लागू कुछ सेवा शर्तों के हकदार हैं। साथ ही भारत के संविधान के अनुच्छेद 309 के तहत बनाए गए नियमों के अनुसार पेंशन, भविष्य निधि और ग्रेच्युटी के हकदार भी हैं। हालांकि, सख्ती से कहा जाए तो शिक्षक राज्य सरकार के अधीन कोई पद धारण नहीं कर सकते हैं, लेकिन यह राज्य सरकार के अधीन एक पद के समान है। कम-से-कम सेवा में रहते हुए वेतन और भत्ते के मौद्रिक लाभों के साथ-साथ रिटायरमेंट पर पेंशन और अन्य लाभों के लिए भी।"

इस प्रकार, न्यायालय ने अपीलकर्ता को 1982 के नियमों के अनुसार DCRG के भुगतान के लिए आवेदन के साथ प्रथम प्रतिवादी के समक्ष आवेदन करने की अनुमति दी। साथ ही नोटरीकृत हलफनामे के माध्यम से सरकार और सहायता प्राप्त स्कूल चलाने वाली सोसायटी को किसी अन्य कानूनी उत्तराधिकारी द्वारा किए गए किसी भी दावे से क्षतिपूर्ति करने का वचन भी देने की अनुमति दी।

न्यायालय ने उपरोक्त संशोधन के साथ याचिका को अनुमति दे दी।

Cause Title: VIKRAM BHALCHANDRA GHONGADE VERSUS THE HEADMISTRESS GIRLS HIGH SCHOOL AND JUNIOR COLLEGE, ANJI (MOTHI), TAH. AND DISTT. WARDHA & ORS.

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