AIBE : सुप्रीम कोर्ट ने फाइनल ईयर के लॉ स्टूडेंट को अखिल भारतीय बार परीक्षा में शामिल होने की अनुमति देने की याचिका पर BCI से जवाब मांगा

Update: 2024-09-13 07:15 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (13 सितंबर) को बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) से उस याचिका पर जवाब मांगा, जिसमें फाइनल ईयर के लॉ स्टूडेंट को अखिल भारतीय बार परीक्षा (AIBE) में शामिल होने से रोकने के बीसीआई के फैसले को चुनौती दी गई।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल की बेंच ने AIBE के लिए पात्रता के संबंध में BCI की हालिया अधिसूचना को चुनौती देने वाली रिट याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें फाइनल ईयर (अंतिम सेमेस्टर) के लॉ स्टूडेंट को 24 नवंबर, 2024 को होने वाली आगामी AIBE-XIX में रजिस्ट्रेशन करने और उसमें शामिल होने से रोक दिया गया।

पीठ ने BCI के वकील से BCI से निर्देश प्राप्त करने और अगले सप्ताह जवाब देने को कहा।

यह याचिका दिल्ली यूनिवर्सिटी के कैंपस लॉ सेंटर और लॉ सेंटर में 3 वर्षीय एलएलबी कार्यक्रम के 9 फाइनल ईयर के लॉ स्टूडेंट द्वारा दायर की गई।

याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि विवादित अधिसूचना बार काउंसिल ऑफ इंडिया बनाम बोनी एफओआई लॉ कॉलेज में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के विपरीत है, जहां संविधान पीठ ने कहा कि फाइनल ईयर के लॉ स्टूडेंट को AIBE (अपनी लॉ डिग्री पास करने के अधीन) में बैठने की अनुमति दी जानी चाहिए। इसने BCI को वर्ष में दो बार परीक्षा आयोजित करने का निर्देश दिया।

अपनी याचिका में याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि अधिसूचना उन्हें आगामी AIBE में उपस्थित होने से रोकती है, जिससे उनके पेशेवर करियर को आगे बढ़ाने में उनका बहुमूल्य समय बर्बाद होता है। अधिसूचना मनमानी और अनुचित है, क्योंकि यह यूनिवर्सिटी के अलग-अलग शेड्यूल को अनदेखा करती है, जो अपने परिणाम घोषित कर रहे हैं और उन स्टूडेंट पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है, जिनके परिणाम घोषित होने में देरी होती है।

याचिकाकर्ता द्वारा मांगी गई मुख्य राहत में शामिल हैं: (1) CBI अधिसूचना रद्द करना; (2) अंतिम सेमेस्टर के स्टूडेंट को आगामी परीक्षा में बैठने की अनुमति देने का निर्देश और (3) विवादित अधिसूचना पर अंतरिम रोक।

केस टाइटल: निलय राय और अन्य बनाम बार काउंसिल ऑफ इंडिया | डब्ल्यू.पी.(सी) नंबर 577/2024

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