केवल पहचान के लिए आधार, नागरिकता साबित करने के लिए नहीं : ECI ने सुप्रीम कोर्ट से कहा
भारतीय निर्वाचन आयोग (ECI) ने सुप्रीम कोर्ट को स्पष्ट किया कि मतदाता सूची में नाम जोड़ने के लिए आधार कार्ड का उपयोग केवल पहचान प्रमाण (Identity Proof) के रूप में किया जा रहा है, न कि नागरिकता के सबूत के रूप में।
यह जवाब आयोग ने उस अंतरिम आवेदन पर दाखिल किया, जिसमें एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय ने मांग की थी कि नए मतदाताओं के रजिस्ट्रेशन के लिए उपयोग होने वाले फॉर्म-6 में आधार को जन्मतिथि के प्रमाण के रूप में प्रयोग न किया जाए। आयोग ने कहा कि कानून के अनुसार आधार केवल पहचान सत्यापन के लिए उपयोग हो सकता है और इसी उद्देश्य से किया जा रहा है।
आयोग की ओर से सचिव संतोष कुमार दुबे द्वारा दायर हलफनामे में कहा गया कि 2021 के चुनावी कानून संशोधन अधिनियम के जरिए जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 23 में संशोधन किया गया। इसका उद्देश्य एक ही व्यक्ति के अलग-अलग स्थानों पर कई बार मतदाता सूची में दर्ज होने को रोकना था। इसी संशोधन के अनुरूप 17 जून 2022 से फॉर्म-6 में बदलाव किया गया।
ECI ने यह भी बताया कि UIDAI के कार्यालय ज्ञापन (22 अगस्त 2023) में साफ कर दिया गया कि आधार नागरिकता, निवास या जन्मतिथि का प्रमाण नहीं है। साथ ही आधार अधिनियम 2016 की धारा 9 भी यही कहती है कि आधार नागरिकता या निवास का सबूत नहीं माना जाएगा।
हलफनामे में बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले का उल्लेख किया गया, जिसमें कहा गया कि आधार को जन्मतिथि का प्रमाण नहीं माना जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने भी हाल के सरोज बनाम IFFCO टोक्यो (2024) मामले में आयु निर्धारण के लिए आधार की तुलना में स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट को अधिक विश्वसनीय माना था।
इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर 2025 में बिहार SIR मामले में यह स्पष्ट किया कि मतदाता सूची के निर्धारण के दौरान आधार केवल पहचान सत्यापन के लिए उपयोग किया जा सकता है। इसके बाद ECI ने 9 सितंबर 2025 को सभी राज्य निर्वाचन अधिकारियों को निर्देश जारी किए कि बिहार की संशोधित मतदाता सूचियों के लिए आधार कार्ड का उपयोग केवल पहचान प्रमाण के रूप में किया जाए नागरिकता के प्रमाण के रूप में नहीं।
याचिकाकार्ता की इस मांग पर कि आधार को फॉर्म-6 में जन्मतिथि साबित करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबंधित किया जाए आयोग ने कहा कि कानून पहले से ही इसे सीमित करता है और आधार का उपयोग केवल पहचान सत्यापन तक ही सीमित है।
सुप्रीम कोर्ट ने बीते सप्ताह की सुनवाई में भी उपाध्याय से कहा था कि जब तक RP Act की धारा 23(4) आधार को पहचान प्रमाण के रूप में मान्यता देती है तब तक इसके उपयोग को फॉर्म-6 से हटाया नहीं जा सकता। UIDAI की कोई भी अधिसूचना कानून को निष्क्रिय नहीं कर सकती।