सुप्रीम कोर्ट ने पीड़िता की आयु निर्धारित करने के लिए आधार कार्ड में उल्लिखित जन्म तिथि को स्वीकार करने के हाई कोर्ट का निर्णय खारिज किया।
जस्टिस संजय करोल और जस्टिस उज्जल भुइयां की खंडपीठ ने आयु के प्रमाण के रूप में आधार कार्ड की उपयुक्तता को स्वीकार करने की इच्छा नहीं जताई। कोर्ट ने कहा कि मृतक की आयु निर्धारित करने के लिए आधार कार्ड में उल्लिखित जन्म तिथि का संदर्भ देने के बजाय किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 (JJ Act) की धारा 94 के तहत वैधानिक मान्यता प्राप्त स्कूल अवकाश प्रमाण पत्र में उल्लिखित जन्म तिथि से मृतक की आयु अधिक अधिकारपूर्वक निर्धारित की जा सकती है।
यह वह मामला था, जिसमें मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (MACT) द्वारा तय किए गए 19,35,400/- रुपये के मुआवजे को हाईकोर्ट ने यह देखते हुए घटाकर 9,22,336/- रुपये किया कि MACT ने मृतक एलआर को मुआवजा निर्धारित करते समय आयु गुणक को गलत तरीके से लागू किया। हाईकोर्ट ने मृतक के आधार कार्ड में दर्ज जन्म तिथि के आधार पर उसकी आयु 47 वर्ष आंकी तथा 13 का गुणक लागू किया।
अपीलकर्ताओं/कानूनी प्रतिनिधियों ने हाईकोर्ट के निर्णय को चुनौती देते हुए तर्क दिया कि मृतक की आयु की गणना करने के लिए आधार कार्ड का हवाला देकर हाईकोर्ट ने गलती की। उन्होंने मृतक के स्कूल अवकाश प्रमाण पत्र का हवाला देते हुए तर्क दिया कि घटना के समय उसकी आयु 45 वर्ष थी तथा तदनुसार, 14 का गुणक लागू होगा।
अपीलकर्ता के तर्क में बल पाते हुए जस्टिस करोल द्वारा लिखित निर्णय में इस बिंदु पर विभिन्न हाईकोर्ट के निर्णयों पर चर्चा की गई कि क्या आधार कार्ड आयु के प्रमाण के रूप में कार्य कर सकता है।
चर्चा किए गए कुछ निर्णय इस प्रकार हैं:
“मनोज कुमार यादव बनाम मध्य प्रदेश राज्य में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने माना कि जब आयु स्थापित करने की बात आती है तो किशोर होने की दलील पर आधार कार्ड में उल्लिखित आयु को JJ Act की धारा 94 के मद्देनजर निर्णायक सबूत के रूप में नहीं लिया जा सकता।
नवदीप सिंह एवं अन्य बनाम पंजाब राज्य और अन्य, पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने माना कि आधार कार्ड “आयु का पक्का प्रमाण” नहीं है।
महाराष्ट्र राज्य बनाम भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण और अन्य में बॉम्बे हाईकोर्ट ने UIDAI सर्कुलर नंबर 08/2023 का संदर्भ लिया, जिसमें कहा गया कि आधार कार्ड, पहचान स्थापित करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन यह जन्म तिथि का प्रमाण नहीं है।
गोपालभाई नारनभाई वाघेला बनाम भारत संघ और अन्य में गुजरात हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता की पेंशन स्कूल छोड़ने के प्रमाण पत्र में उल्लिखित तिथि के अनुसार जारी करने का निर्देश दिया, आधार कार्ड में उल्लिखित जन्म तिथि में अंतर को अलग रखते हुए, जो इस तरह के विचार के उद्देश्य के लिए प्रासंगिक नहीं था।
शबाना बनाम एनसीटी ऑफ दिल्ली में दिल्ली हाईकोर्ट ने UIDAI के बयान को दर्ज किया कि “आधार कार्ड का उपयोग जन्म तिथि के प्रमाण के रूप में नहीं किया जा सकता।”
न्यायालय ने यह भी कहा कि भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण ने अपने सर्कुलर नंबर 08/2023 के माध्यम से कहा कि आधार कार्ड का उपयोग पहचान स्थापित करने के लिए किया जा सकता है, लेकिन यह जन्म तिथि का प्रमाण नहीं है।
संक्षेप में पीठ आयु के प्रमाण के रूप में आधार कार्ड की उपयुक्तता के बारे में आश्वस्त नहीं थी।
न्यायालय ने कहा,
"आयु के निर्धारण के संबंध में स्थिति ऐसी है कि हमें स्कूल छोड़ने के प्रमाण पत्र के आधार पर दावेदार-अपीलकर्ताओं के तर्क को स्वीकार करने में कोई हिचकिचाहट नहीं है। इस प्रकार, हमें स्कूल छोड़ने के प्रमाण पत्र के आधार पर MACT द्वारा आयु के निर्धारण में कोई त्रुटि नहीं दिखती।"
14 का गुणक लागू करते हुए तथा भविष्य की संभावनाओं को MACT द्वारा निर्धारित 30% के बजाय 25% रखते हुए न्यायालय ने नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम प्रणय सेठी (2017) के निर्णय में निर्धारित कानून को लागू करते हुए प्रतिवादियों को अपीलकर्ता को मुआवजे के रूप में 15,00,000/- रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया।
न्यायालय ने आगे कहा,
“अपीलें स्वीकार की जाती हैं, कुल राशि, अर्थात 14,41,500 रुपये न्यायोचित मुआवजे के हित में दावा याचिका दायर करने की तिथि से 8% ब्याज के साथ 15,00,000/- रुपये तक पूर्णांकित की जाती है, जिसे न्यायाधिकरण द्वारा निर्देशित तरीके से सही दावेदारों को जारी किया जाना है।”
केस टाइटल: सरोज एवं अन्य बनाम इफको-टोकियो जनरल इंश्योरेंस कंपनी एवं अन्य, सी.ए. नंबर 012077 - 012078 / 2024