जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण के लिए आधार नंबर का इस्तेमाल अनिवार्य नहीं: भारत के रजिस्ट्रार जनरल ने आरटीआई के जवाब में स्पष्ट किया

Update: 2020-10-13 10:58 GMT

भारत के रजिस्ट्रार जनरल ने स्पष्ट किया है कि जन्म और मृत्यु पंजीकरण के लिए आधार नंबर अनिवार्य नहीं है।

यह स्पष्टीकरण आंध्र प्रदेश के निवासी एम. वी. एस. अनिल कुमार रजागिरि की ओर से सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत मांगी गयी जानकारी के जवाब में आया है। उन्होंने सरकार से पूछा था कि क्या मृत्यु पंजीकरण के लिए आधार जरूरी है या नहीं?

इस सिलसिले में दिये गये जवाब में तीन अप्रैल 2019 के सर्कुलर का हवाला दिया गया है, जिसमें गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि,

"देश में जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण रजिस्ट्रेशन ऑफ बर्थ्स एंड डेथ्स (आरबीडी) एक्ट, 1969 के प्रावधानों के तहत किया जाता है और आरबीडी एक्ट में कोई ऐसा प्रावधान नहीं है, जो किसी व्यक्ति के जन्म और मृत्यु के पंजीकरण के उद्देश्य से व्यक्ति की पहचान स्थापित करने के लिए आधार के इस्तेमाल की अनुमति प्रदान करता है। आधार के इस प्रकार के इस्तेमाल के लिए कोई प्रावधान नहीं है, इसलिए धारा 57 (आधार का सत्यापन) यहां लागू नहीं होती है। इसलिए, जन्म और मृत्यु पंजीकरण के लिए आधार अनिवार्य नहीं है।"

मंत्रालय ने आगे कहा है कि आवेदनकर्ता जन्म और मृत्यु पंजीकरण के लिए व्यक्तिगत पहचान स्थापित करने के लिए मान्य दस्तावेजों में से एक के तौर पर आधार नंबर या एनरॉलमेंट आईडी नंबर की एक प्रति स्वेच्छा से उपलब्ध करा सकता है।

हालांकि, पंजीकरण अधिकारी को यह सुनिश्चित करना होगा कि आधार नंबर के पहले आठ अंक काली स्याही से कवर किये गये हों।

सर्कुलर में कहा गया है,

"किसी भी हाल में आधार नंबर न तो डाटाबेस में स्टोर किया जायेगा, न ही किसी दस्तावेज पर प्रिंट किया जायेगा। यदि आवश्यकता हुई तो आधार नंबर के पहले चार अंक ही प्रिंट किये जा सकते हैं।"

सुप्रीम कोर्ट ने 'जस्टिस के एस पुत्तास्वामी (सेवानिवृत्त) और अन्य बनाम भारत सरकार एवं अन्य' के मामले में आधार सत्यापन के प्रावधान के बारे में व्यवस्था दी थी कि आधार (टाग्रेटेड डिलीवरी ऑफ फाइनेंशियल एंड अदर सब्सिडीज, बेनिफिट्स एंड सर्विसेज) एक्ट, 2016 की धारा 57 का वह अंश 'असंवैधानिक' है जिसमें आधार सत्यापन के लिए कॉरपोरेट और व्यक्तिगत को सक्षम बनाया गया था।

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