अस्थाई शिक्षक गैर-सरकारी शिक्षण संस्थान अधिनियम के तहत बर्खास्तगी को चुनौती दे सकते हैं: राजस्थान हाईकोर्ट

Update: 2025-04-21 04:40 GMT
अस्थाई शिक्षक गैर-सरकारी शिक्षण संस्थान अधिनियम के तहत बर्खास्तगी को चुनौती दे सकते हैं: राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने माना कि राजस्थान गैर-सरकारी शिक्षण संस्थान अधिनियम, 1989 (Rajasthan Non-Government Educational Institutions Act) की धारा 19 के तहत अस्थायी कर्मचारियों की बर्खास्तगी के मामले में भी अपील सुनवाई योग्य है, क्योंकि अधिनियम की धारा 18 के तहत दिए गए आदेश का पालन नियमित और अस्थायी कर्मचारियों दोनों के मामले में किया जाना चाहिए।

अधिनियम की धारा 18 संस्थानों में कर्मचारियों को हटाने, बर्खास्त करने या पद कम करने की प्रक्रिया मुहैया करती है।

अधिनियम की धारा 19 में धारा 18 के तहत पारित आदेश के खिलाफ शिकायत के मामले में अपील करने का अधिकार दिया गया है।

जस्टिस अनूप कुमार ढांड ने कहा कि अधिनियम सामाजिक कानून है, जिसे शिक्षण संस्थानों के प्रबंधन द्वारा मनमानी कार्रवाई को रोकने के लिए बनाया गया था।

न्यायालय ने कहा,

"1989 के अधिनियम और 1993 के नियमों तथा उनमें किए गए प्रावधानों अर्थात धारा 18 और नियम 39 के अधिनियमन के पीछे का पूरा उद्देश्य शैक्षणिक संस्थानों के बेईमान प्रबंधन की ओर से मनमानी कार्रवाई की जांच करना है। 1989 का अधिनियम और उसके तहत बनाए गए 1993 के नियम शैक्षणिक प्रणाली को सुधारने और सुधारने के लिए बनाए गए सामाजिक कानून हैं। अधिनियम और उसके तहत बनाए गए नियमों का उद्देश्य, शक्तिशाली प्रबंधन द्वारा अपने कर्मचारियों का शोषण करने के लिए किए गए विभिन्न कदाचारों और शरारतों को रोकना है, चाहे वे नियमित या अस्थायी आधार पर नियुक्त हों। धारा 18 और नियम 39 के तहत निहित भाषा स्पष्ट और विशिष्ट है। इसे किसी अन्य व्याख्या की आवश्यकता नहीं है। ये प्रावधान सभी कर्मचारियों के लिए उपलब्ध हैं, चाहे वह नियमित या अस्थायी आधार पर नियुक्त हो। इसलिए यह स्पष्ट है कि 1989 के अधिनियम की धारा 19 के तहत अस्थायी कर्मचारियों की सेवा से बर्खास्तगी के समान मामलों में अपील बनाए रखने योग्य है।"

न्यायालय राजस्थान गैर-सरकारी शैक्षिक न्यायाधिकरण, जयपुर द्वारा दिए गए आदेश के विरुद्ध विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों की प्रबंध समिति द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था। उक्त आदेश में शिक्षकों की सेवा समाप्ति के आदेशों के विरुद्ध अपील स्वीकार की गई थी तथा उनकी बहाली के निर्देश जारी किए गए थे।

याचिकाकर्ता प्रबंधन का मामला यह था कि प्रतिवादी शिक्षकों को उनकी सेवा अवधि में एक निश्चित अवधि के लिए पूर्णतः अनुबंध के आधार पर नियुक्त किया गया था। हालांकि, उनका चयन नियमित चयन प्रक्रिया के माध्यम से नहीं किया गया था। इसलिए उनके संबंध में धारा 18 का पालन करना आवश्यक नहीं था। तदनुसार, अधिनियम की धारा 19 के तहत अपील भी उनके द्वारा दायर की गई अपील के अनुसार स्वीकार्य नहीं थी।

विवादों को सुनने के पश्चात न्यायालय ने सभी प्रासंगिक प्रावधानों का अवलोकन किया तथा इस बात पर प्रकाश डाला कि अधिनियम की धारा 2(i) के अंतर्गत "कर्मचारी" में शिक्षक या प्रत्येक अन्य कर्मचारी शामिल है। इसमें नियमित या अस्थायी कर्मचारी के बीच कोई अंतर नहीं किया गया।

न्यायालय ने राजस्थान गैर-सरकारी शैक्षणिक संस्थान नियम, 1993 ("नियम") के नियम 39 का भी हवाला दिया और कहा,

"1989 के अधिनियम की धारा 18 और 1993 के नियम 39 को मिलाकर पढ़ने से यह स्पष्ट हो जाता है कि छह महीने के लिए नियुक्त अस्थायी कर्मचारी के मामले में प्रबंधन द्वारा किसी भी समय छह महीने का नोटिस या उसके बदले में छह महीने का वेतन देकर उसकी सेवाएं समाप्त की जा सकती हैं। 1989 के अधिनियम की धारा 18 से जुड़ी पहली शर्त के अनुसार, कर्मचारी को हटाने या बर्खास्त करने के मामले में शिक्षा निदेशक की मंजूरी लेना आवश्यक है।"

अधिनियम को गैर-सरकारी शैक्षणिक संस्थानों के प्रबंधन की कुप्रथाओं और मनमाने ढंग से नियुक्ति-निकालने की नीतियों को रोकने के लिए अधिनियमित सामाजिक कानून बताते हुए न्यायालय ने कहा:

"नियमित नियुक्तियों के मामले में भर्ती प्रक्रिया का संचालन किया जाना आवश्यक है, रिक्तियों का विज्ञापन किया जाना आवश्यक है तथा राज्य सरकार से अनुमोदन प्राप्त करने के पश्चात नियुक्तियां दी जानी हैं। साथ ही शिक्षा विभाग के प्रतिनिधियों की सहमति भी आवश्यक है। लेकिन अस्थायी या संविदा नियुक्तियों के मामले में ऐसी कोई प्रक्रिया अपनाने की आवश्यकता नहीं है। ऐसे अस्थायी कर्मचारियों की सेवा बिना कोई कारण बताए एक पंक्ति के आदेश पारित करके समाप्त नहीं की जा सकती। अधिनियम 1989 की धारा 18(iii) के अंतर्गत निहित प्रक्रिया का ही पालन किया जाना आवश्यक है।"

न्यायालय ने सुप्रीम कोर्ट तथा राजस्थान हाईकोर्ट के कुछ मामलों का भी उल्लेख किया, जिसमें निर्णय दिया गया कि अधिनियम की धारा 18 अस्थायी कर्मचारियों पर भी लागू होती है। कोर्ट ने कहा कि इससे यह स्पष्ट है कि अधिनियम की धारा 19 के अंतर्गत अपील अस्थायी कर्मचारियों की समाप्ति के मामलों में भी स्वीकार्य है।

न्यायालय ने आगे कहा कि चूंकि वर्तमान मामले में अस्थायी आधार पर नियुक्त किए गए बर्खास्त कर्मचारियों को कोई नोटिस या वेतन प्रदान नहीं किया गया, इसलिए ऐसे कर्मचारियों द्वारा धारा 19 के अंतर्गत दायर अपील स्वीकार्य है।

तदनुसार, न्यायाधिकरण द्वारा पारित आदेश बरकरार रखा गया और शैक्षणिक संस्थानों की याचिकाओं को खारिज कर दिया गया।

केस टाइटल: प्रबंध समिति, डी.ए.वी. उच्च माध्यमिक विद्यालय बनाम सौरभ उपाध्याय, तथा अन्य संबंधित याचिकाएं

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