[IPC 498A] भाभी द्वारा भाई की पत्नी को घर बुलाना, झगड़ा करना क्रूरता नही: राजस्थान हाईकोर्ट ने डिस्चार्ज ऑर्डर बरकरार रखा

Update: 2024-10-04 06:37 GMT

राजस्थान हाईकोर्ट ने सेशन कोर्ट के 22 साल पुराने आदेश की पुष्टि की, जिसमें कहा गया कि महिला की भाभी द्वारा उसे घर बुलाना और झगड़ा करना दहेज के लिए क्रूरता नहीं है।

जस्टिस अरुण मोंगा की पीठ सेशन कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आरोपी को कथित अपराध से मुक्त कर दिया गया।

याचिकाकर्ता की बेटी की शादी आरोपी के भाई से हुई थी। वर्ष 1998 में मृतका को पेट दर्द की शिकायत हुई, जिसके बाद उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। मृतका के पिता ने मृतका की भाभी पर उसे जहर देने का आरोप लगाया और भाभी के खिलाफ दहेज के लिए क्रूरता और हत्या के प्रयास का मामला दर्ज कराया।

सेशन कोर्ट के आदेश के तहत 2002 में भाभी को आरोपों से मुक्त कर दिया गया, जिसे याचिकाकर्ता ने न्यायालय में चुनौती दी। न्यायालय ने सेशन कोर्ट के तर्क पर विचार किया, जिसमें कहा गया कि मृतका और उसके पति या सास के बीच कोई तनावपूर्ण संबंध नहीं था और न ही भाभी द्वारा मृतका को दहेज के लिए परेशान करने का कोई सबूत था। सिवाय उसके घर पर बुलाकर झगड़ा करने के। दहेज के लिए क्रूरता के आरोपों को आकर्षित करने के लिए इसे पर्याप्त नहीं माना गया।

इसके अलावा, जहर देने के आरोप के संबंध में यह माना गया कि आरोप घटना के लगभग दो साल बाद लगाया गया और वह भी बिना किसी पुष्टि के। इसलिए न्यायालय ने सेशन कोर्ट के निष्कर्षों में कोई अवैधता नहीं पाई। तदनुसार, याचिका का निपटारा कर दिया गया।

केस टाइटल: गुलाम हुसैन बनाम राज्य और अन्य।

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