अपना प्रतिनिधित्व करने के लिए सिर्फ सक्षम वकीलों की नियुक्ति करे राज्य, जीवन और स्वतंत्रता के मामलों में गलत सूचना बर्दाश्त नहीं की जा सकती: पीएंडएच हाईकोर्ट

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हाल ही कहा कि "राज्य यह सुनिश्चित करने के लिए बाध्य है कि केवल सक्षम और नैतिक पेशेवरों को ही न्यायालय के समक्ष राज्य का प्रतिनिधित्व करने की जिम्मेदारी सौंपी जाए।"
जस्टिस मंजरी नेहरू कौल ने कहा कि, "कानूनी व्यवस्था ऐसे मामलों में ढिलाई या गलत सूचना की विलासिता बर्दाश्त नहीं कर सकती, जहां स्वतंत्रता और जीवन दांव पर लगे हों।"
यह घटनाक्रम मेडिकल बेल का इंतजार कर रहे एक विचाराधीन कैदी की मौत के बाद हुआ, न्यायालय ने हरियाणा सरकार के वकील की विफलता को चिन्हित किया, जिन्होंने न्यायालय के समक्ष भ्रामक प्रस्तुतियां दी थीं।
न्यायालय ने याद दिलाया कि राज्य के वकील का यह दायित्व है कि वह तथ्यों को बिना किसी दमन, विकृति या गलत बयानी के पूर्ण सटीकता के साथ प्रस्तुत करे।
कोर्ट ने देखा कि सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार इस बात पर जोर दिया है कि "एक सरकारी अभियोजक को ईमानदारी और निष्पक्षता के उच्चतम मानकों को बनाए रखना चाहिए, यह सुनिश्चित करते हुए कि लापरवाही, गलत बयानी या तथ्यों को छिपाने के कारण न्याय से समझौता न हो।"
परिणामस्वरूप, न्यायालय ने सरकारी अभियोजकों और राज्य के वकील के आचरण को नियंत्रित करने वाले कुछ मूलभूत सिद्धांतों को दोहराया, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं:
(i) सरकारी अभियोजक न्यायालय का अधिकारी होता है, पुलिस या राज्य का मुखपत्र नहीं। उनका कर्तव्य यह सुनिश्चित करना है कि न्यायालय के फैसले के बावजूद न्याय हो।
(ii) किसी भी तरह से तथ्यों को दबाना, गलत तरीके से प्रस्तुत करना या न्यायालय को गुमराह करना अभियोजन नैतिकता का गंभीर उल्लंघन और न्यायिक अखंडता का अपमान है।
यह ध्यान देने योग्य है कि सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में राजनीतिक विचारों पर हाईकोर्टों में सरकारी अधिवक्ताओं और सरकारी अभियोजकों की नियुक्ति करने की सरकारों की प्रवृत्ति पर दुख जताया। न्यायालय ने कहा कि सरकारी अधिवक्ताओं और सरकारी अभियोजकों की नियुक्ति करते समय "पक्षपात और भाई-भतीजावाद" कारक नहीं होने चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकारी अभियोजकों को दोषसिद्धि सुनिश्चित करने की "प्यास" दिखाए बिना निष्पक्ष रूप से न्यायालय की सहायता करनी चाहिए।
आदेश से अन्य रिपोर्ट: मेडिकल बेल का इंतजार कर रहे विचाराधीन कैदी की मौत: पी एंड एच हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार के वकील को 'भ्रामक अदालत' के लिए फटकार लगाई
केस टाइटल: सुभाष चंद्र दत्त बनाम हरियाणा राज्य