पैरोल के लिए राम रहीम की और याचिका: हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार से पूछा- 'कानून और व्यवस्था' की स्थिति का हवाला देते हुए कितने पैरोल आवेदन खारिज किए
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार से हलफनामा दाखिल करने को कहा कि कानून और व्यवस्था की स्थिति का हवाला देते हुए कितने पैरोल खारिज कर दिए गए, क्योंकि इसे चुनौती देने वाली याचिकाओं की "अदालत में बाढ़ आ गई है"।
यह घटनाक्रम स्वयंभू बाबा गुरमीत राम रहीम द्वारा आदेश रद्द करने के लिए दायर आवेदन पर सुनवाई के दौरान आया, जिसमें हाईकोर्ट ने उन्हें 10 मार्च (जिस दिन उनकी वर्तमान पैरोल समाप्त हो रही थी) को आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया। साथ ही हरियाणा सरकार से हाईकोर्ट की अनुमति के बिना अतिरिक्त पैरोल देने का मामले में उनकी पैरोल पर विचार नहीं करने को कहा।
एक्टिंग चीफ जस्टिस जी.एस. संधावालिया और जस्टिस लापीता बनर्जी की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता और राज्य अधिकारियों को जनहित याचिका में दायर उपरोक्त आवेदन पर नोटिस जारी किया।
राम रहीम की ओर से पेश सीनियर वकील चेतन मित्तल ने कहा कि यह आदेश उनके अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है, क्योंकि वह हरियाणा अच्छे आचरण कैदी (अस्थायी रिहाई) अधिनियम, 2022 के अनुसार इस वर्ष 20 और दिनों की पैरोल और 21 दिनों की छुट्टी के लिए पात्र हैं। अन्य समान रूप से रखे गए दोषियों को भी प्रदान किया गया।
उन्होंने आगे दलील दी कि इसी आदेश में कोर्ट ने हरियाणा सरकार से हलफनामा मांगा कि राम रहीम के समान आपराधिक पृष्ठभूमि वाले और तीन मामलों में सजा काट चुके कितने लोगों को पैरोल का लाभ दिया गया।
मित्तल ने कहा,
"यह राज्य द्वारा दायर किया गया; इसलिए आदेश को संशोधित किया जाना चाहिए। राज्य को उनके आवेदन (पैरोल के लिए) पर विचार करने की अनुमति दी जानी चाहिए।"
हलफनामे पर गौर करते हुए एक्टिंग चीफ जस्टिस जी.एस. संधावालिया ने हरियाणा सरकार से यह विवरण देने को कहा कि "कानून और व्यवस्था की स्थिति" का हवाला देते हुए कितने पैरोल खारिज कर दिए गए, क्योंकि अदालत ऐसे आदेशों को चुनौती देने वाली याचिकाओं से भर गई है।
केस टाइटल: शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति बनाम हरियाणा राज्य और अन्य